Sunday, October 19

अब हिजाब पहनकर परीक्षा देने की उठी मांग, कर्नाटक की छात्राएं पहुंची सुप्रीम कोर्ट

कर्नाटक में एक बार फिर हिजाब विवाद पर बवाल बढ़ने के आसार दिखाई दे रहा है। दरअसल अब कर्नाटक की कुछ छात्राओं ने परीक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इन छात्राओं ने प्री-यूनिवर्सिटी परीक्षा में हिजाब पहनकर बैठने की अनुमति मांगी है, जो 9 मार्च से शुरू होने से उम्मीद है। इसके साथ ही छात्राओं ने जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई की मांग की है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने याचिका दायर करने वाली छात्राओं को आश्वासन दिया कि वह जल्द ही इस मामले को देखेंगे और इसके लिए एक बेंच का गठन करेंगे। इससे पहले पिछले साल 13 अक्टूबर में हिजाब विवाद के मामले में आखिरी बार सुनवाई हुई थी। हालांकि सुनवाई को दौरान 2 जजों वाली बेंच में एक राय नहीं बन सकी थी, जिसके कारण दोनों जजों ने इस मामले को लेकर गई बेंच गठित करने का सुझाव दिया था।

कर्नाटक के उडुपी से शुरू हुआ था हिजाब विवाद
हिजाब विवाद का मामला पिछले साल जनवरी में कर्नाटक के उडुपी के एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोक दिया गया था। मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था, जिसके बाद यह विवाद धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया।

अभी कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला है लागू
सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर 2022 को कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में मुस्लिम छात्राओं पर हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक विभाजित फैसला सुनाया था, जिसके बाद मामले को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की इसी कार्यवाही के बारे में जानकारी देते हुए वकील वरूण सिन्हा ने बताया था कि हिजाब विवाद पर अभी कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला लागू रहेगा, क्योंकि एक जज ने याचिका को खारिज किया है और दूसरे जज ने उसे खारिज नहीं किया है। उन्होंने बताया कि अब कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला तब तक जारी रहेगा जब तक किसी बड़े बेंच का फैसला नहीं आ जाता है।

हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब विवाद पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली 3 न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि कुरान में मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं बताया गया है। हिजाब पहनना इस्लामिक परंपरा का हिस्सा नहीं है। स्कूल में ड्रेस का पालन करना जरूरी है, इसलिए छात्र इसका विरोध नहीं कर सकते हैं। इसे संविधान के आर्टिकल 25 के तहत संरक्षण देने की जरूरत नहीं है, जिसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब पहनने की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।