विदिशा। नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में कमी लाने एवं बीमारियों से बचाने के लिए जिला अस्पताल की एनआरसी में जिले के 40 स्वास्थ्य कर्मचारियों समेत चिकित्सकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसमें भोपाल के दो मेडिकल कॉलेज सहित जिला अस्पताल के विषय विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण दिया। इस एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन भारतीय शिशु अकैडमी शाखा द्वारा किया गया।
शाखा अध्यक्ष डॉ. एमके जैन ने बताया कि नवजात शिशुओं की असामयिक होने वाली मौतों को बचाने के लिए शिशु जन्म के समय और जन्म के पश्चात सेवाओं में शामिल रहने वाले चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मचारियों को बुनियादी शिशु पुनर्जीवन हेतु गहन प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षक के रूप में पीपल्स मेडिकल कॉलेज के डॉ. दिनेश मेकले एवं ऐलन मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर स्वेता आनंद तथा स्थानीय मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर नीति अग्रवाल , डॉ. प्रियाशा त्रिपाठी और ज़िला अस्पताल विदिशा से डॉक्टर सुरेंद्र रघुवंशी विषय विशेषज्ञ और प्रशिक्षक के रूप में मौजूद रहे जिन्होंने ज़िला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज तथा निजी हॉस्पिटल के चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मचारियों को शिशु के जन्म और जन्म के बाद की देखभाल संबंधी सावधानियां व आवश्यक तरीके बताए।
प्रदेश में शिशु मृत्युदर को 59 से 23 प्रतिशत पर लाना है
डॉक्टर एम के जैन ने बताया की यह कार्यशाला जन उपयोगी और लाभदायक साबित होगी इससे शिशुओं को बीमारियों और असामयिक होने वाली मृत्यु से बचाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि देश में यह मृत्यु दर करीब 26.8 एवं प्रदेश में करीब 59 प्रतिशत है। प्रशिक्षण के बाद प्रतिभागी अपनी-अपनी संस्थाओं में इस ज्ञान का उपयोग करेंगे और इससे यह मृत्यु दर 25 प्रतिशत कम की जा सकेगी। यह मृत्यु दर 23 प्रतिशत पर लाना है। प्रशिक्षण में सिविल सर्जन डॉ. संजय खरे सहित डॉक्टर सुरेंद्र सोनकर, डॉक्टर केएम .गोयल व अन्य चिकित्सक मौजूद रहे।