Wednesday, September 24

ईश्वर दुश्मन के बच्चे को भी न दे ये बीमारी लिखा और दुनियां छोड़ गया पूरा परिवार

विदिशा. नगर के वार्ड 32 बंटीनगर के पूर्व पार्षद संजीव मिश्रा के मन में उस समय क्या चल रहा था, यह कहना संभव नहीं, लेकिन उनका फैसला और पूरे परिवार सहित दुनियां को अलविदा कह देने के पहले सोशल मीडिया पर डाली गई दो पोस्ट उनके जीवन की हताशा को बताने के लिए काफी हैं। पहली पोस्ट में वे लिखते हैं- ईश्वर, दुश्मन के बच्चे को भी न दे ये बीमारी, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी…प्रार्थना और दूसरी पोस्ट में अपना पारिवारिक फोटो पोस्ट करते हुए लिखते हैं- शिकवा नहीं किसी से, किसी से गिला नहीं, भाग्य में नहीं था हमको मिला नहीं। ये जीवन की हताशा के वे क्षण थे जब संजीव ने अपने परिवार सहित जान देने का खौफनाक निर्णय लिया। गुरूवार की शाम जब पूरा देश गणतंत्र दिवस और वसंत पंचमी की खुशी से लबरेज था तब भाजपा के इस पूर्व पार्षद का परिवार हताशा में डूबकर अपनी जीवन लीला खत्म करने का निर्णय लेकर उस पर अमल कर रहा था। शाम को ही खबर आ गई कि बच्चे की बीमारी से परेशान पूरे परिवार ने अपना जीवन ही खत्म कर लिया। चारों को अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया।

भाजपा के पूर्व पार्षद संजीव मिश्रा और उनकी पत्नी नीलम मिश्रा, 13 वर्षीय पुत्र अनमोल और 7 वर्षीय सार्थक बंटीनगर में रहते थे। पिछले करीब आठ साल से बड़ा पुत्र अनमोल बीमार रहने लगा था। उसकी मांसपेशियां लगातार कमजोर हो रहीं थीं। मिश्रा ने सबदूर उसका इलाज कराया, काफी पैसा लगाया, लेकिन हर जगह से उन्हें यही जवाब मिला कि ये लाइलाज बीमारी है। इसमें बच्चे की मांसपेशियां लगातार कमजोर होती जाएंगी और उसकी रोजमर्रा की जिन्दगी भी दूभर होगी। मिश्रा का परिवार अनमोल की इस स्थिति से जूझ ही रहा था कि छोटे पुत्र सार्थक में भी इसी तरह की बीमारी के लक्षण दिखाई देने से जैसे मिश्रा दंपति पूरी तरह हताश सा हो गए।
इसी हताशा से घिरे संजीव मिश्रा ने शायद अपनी पत्नी से अपना दुख साझा करते हुए वो खौफनाक निर्णय लिया जिससे पूरा विदिशा स्तब्ध हो गया। इस निर्णय के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर दो पोस्ट डालकर अपनी निराशा जाहिर की। अनहोनी की आशंका से लोगों ने उनको कॉल किए, मैसेज किए। इसी बीच उनका भतीजा घर पहुंचा और दरवाजा खटखटाया। दरवाजा अंदर से बंद था। जब कोई आवाज नहीं आई तो पुलिस को सूचना देकर दरवाजा तोड़ा गया। अंदर परिवार के चारों सदस्य बेसुध पड़े थे। पुलिस और प्रशासन के लोग घर पहुंच चुके थे। आनन-फानन में चारों को जिला अस्पताल भेजा गया, जहां पहुंचते ही दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया गया और कुछ ही देर बाद संजीव मिश्रा और उनकी पत्नी नीलम की भी मौत हो गई। पल भर के निर्णय ने पूरे परिवार को मौत की नींद सुला दिया था।
यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई। पूरा शहर स्तब्ध रह गया। भाजपा नेताओं और प्रशासन का मेडिकल कॉलेज में जमावड़ा हो गया। कलेक्टर उमाशंकर भार्गव, एएसपी समीर यादव, एसडीएम जीएस वर्मा, सीएसपी विकास पांडेय, टीआई योगेंद्र सिंह दांगी समेत अनेक लोग देर रात तक जिला चिकित्सालय परिसर में मौजूद रहे, लेकिन मिश्रा परिवार के सभी सदस्य हमेशा के लिए दुनियां छोडकऱ जा चुके थे।
सुबह एक साथ उठीं चारों अर्थियां तो रो पड़ी हर आंख…रात हो जाने के कारण गुरूवार को पोस्टमार्टम नहीं हो सका था। शुक्रवार की सुबह जल्दी चारों का पोस्टमार्टम कर शव घर भेजे गए। परिजनों ने जब चारों शवों की अर्थियां सजाकर लाइन से शव वाहनों में रखीं तो वहां मौजूद हर आंख रो पड़ी। एक साथ पूरे परिवार के शव देखना किसी के लिए भी आसान नहीं था।

ट्रिनिटी कान्वेंट में अवकाश घोषित

पूर्व पार्षद के दोनों बच्चे अनमोल और सार्थक ट्रिनिटी कान्वेंट में ही पढ़ते थे। इस दर्दनाक हादसे की खबर से ट्रिनिटी परिसर भी सहम गया। उसने अपने स्कूल का अवकाश घोषित कर दिया। जो बच्चे स्कूल पहुंच गए थे उन्हें वापस कर दिया गया। ट्रिनिटी कांन्वेंट की सिस्टर सहित कई शिक्षिकाएं मृतक परिवार के घर पहुंचीं और अपने सामने पूरे परिवार को अनंत यात्रा पर रवाना किया।

क्या है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी

मस्कुल डिस्ट्रॉफी दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी है। इससे शरीर में कई न्यूरोलॉजिकल समस्याएं सामने आने लगती हैं। मांस पेशियां कमजोर होने लगती हैं। इससे व्यक्ति का जीवन दूभर हो जाता है। चलना, दौडऩा, काम करना भी मुश्किल हो जाता है। चिकित्सकों की मानें तो यह लाइलाज बीमारी है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ सुनील नंदेश्वर भी कहते हैं कि यह आनुवांशिक और दुर्लभ बीमारी होने के साथ ही लाइलाज भी है। दवाओं से इस रोग में कोई लाभ नहीं होता। इसमें मसल्स लगातार कमजोर होती जाती हैं और रोगी सामान्य जीवन नहीं जी पाता।