बेंगलूरु.
सीमा विवाद पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ बुधवार शाम बैठक की। बैठक में दोनों राज्य सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक एक-दूसरे पर कोई दावा नहीं करने, एवं बातचीत से मसले को सुलझाने के लिए दोनों तरफ से 3-3 मंत्रियों (कुल छ:) की एक समिति गठित करने पर सहमत हुए। बैठक में राज्य के गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नलिन कुमार कटील और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए।
बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए अमित शाह ने कहा कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच सीमा-विवाद पर सकारात्मक एवं अच्छे माहौल में बात हुई। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री के अलावा कुछ वरिष्ठ साथी एवं गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। कुल मिलाकर इस बात पर सहमति हुई कि सीमा विवाद का हल सडक़ पर नहीं बल्कि, संविधान सम्मत तरीके से होगा। इसलिए सर्वसम्मति से कुछ निर्णय किए गए।
उन्होंने कहा कि पहला निर्णय यह हुआ है कि जब तक इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का कोई फैसला नहीं आता, तब-तक कोई भी राज्य एक-दूसरे पर कोई दावा अथवा कोई मांग नहीं करेगा। दूसरा, दोनों राज्यों की ओर से तीन-तीन मंत्रियों यानी, कुल छ: मंत्रियों की एक समिति बनेगी जो विवाद के समाधान के लिए बैठक करेगी और विस्तृत चर्चा करेगी। दो राज्यों के बीच छोटे-छोटे कई और मुद्दे भी होते हैं। पड़ोसी राज्यों में ऐसे मुद्दे आमतौर पर होते हैं। लेकिन, उन मुद्दों का निवारण भी मंत्रियों की यह समिति करेगी।
इसके अलावा दोनों राज्यों के बीच कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी के नेतृत्व में एक समिति गठित करने का भी फैसला हुआ। आइपीएस अधिकारियों की समिति यह सुनिश्चित करेगी कि एक-दूसरे राज्यों में आने-जाने वाले यात्रियों अथवा व्यपारियों को कोई तकलीफ नहीं हो और सीमावर्ती जिलों में कानून-व्यवस्था कायम रहे। गृह मंत्री ने दावा किया कि दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद भडक़ाने में नकली ट्विटर अकाउंट की भी भूमिका रही। उन्होंने कहा कि ऐसे ट्विटर अकाउंट का पता लगाया जाएगा और उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। जिन्होंने भी सीमा विवाद को भडक़ाने की कोशिश की है, उसे बेनकाब किया जाएगा।
शाह ने कहा कि गृह मंत्री के नाते वे विपक्षी दलों से भी अपील करते हैं कि वे इस विवाद को राजनीतिक रंग नहीं दें। सुप्रीम कोर्ट के फैसले और दोनों राज्यों के मंत्रियों की समिति की बैठक से निकलने वाले परिणामों का इंतजार करें।