Wednesday, September 24

Lateri ब्लॉक के हाईस्कूलों में 256 में से मात्र 85 शिक्षक बचे

आनन्दपुर. लटेरी ब्लाॅक के हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों में विद्यार्थियों का भविष्य चौपट होने को है। यहां 13 हाई और 9 हायर सेकंडरी स्कूलों के करीब 5200 विद्यार्थियों के लिए 256 शिक्षकों के पद हैं, लेकिन पदस्थ मात्र 85 हैं। बाकी स्कूल अतिथियाें के भरोसे हैं। इतना ही नहीं, जहां शिक्षक हैं, वहां भवन नहीं है। ऐसे माहौल में विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य की कल्पना भी कैसे की जा सकती है। आनन्दपुर क्षेत्र में तीन हायर सेंकंडरी स्कूल आनन्दपुर, कालादेव और उनारसीकलां में हैं। इसी तरह सुनखेर, काछीखेड़ा, ओखलीखेड़ा, महोटी, ईसरवास, जावती सहित छह हाईस्कूल हैं। लेकिन इन सबकी कहानी कमोवेश एक सी है। कहीं वर्षों से स्कूल भवन का इन्तजार है तो कहीं भवन तो बना है पर शिक्षक न होने से बच्चों की पढ़ाई ही नहीं हो पा रही है। उस पर बोर्ड परीक्षा सिर पर आ चुकी है। रहे सहे शिक्षकों का तबादला होने के बाद वे भी चले गए। ऐसे में स्कूलों, पढ़ाई और बच्चों के भविष्य पर बड़ा संकट गहराया हुआ है।

इस शिक्षण सत्र 2022-23 में कक्षा 9 से 12 तक करीब 5200 बच्चे दर्ज हैं। पूरे लटेरी ब्लॉक में 13 हाई स्कूल और 9 हायर सेकेंडरी स्कूल है। इनके लिए जिनके लिए 256 पद प्रयोगशाला सहायक सहित होना चाहिए पर वर्तमान में मात्र 85 शिक्षक पदस्थ हैं। शेष अतिथि शिक्षकों के भरोसे स्कूल और विद्यार्थियों का भविष्य टिका हुआ है।

आनंदपुर हासे स्कूल में 600 विद्यार्थियों पर मात्र तीन नियमित शिक्षक

आनन्दपुर हायर सेकंडरी स्कूल प्रभारी धीरज सिंह यादव ने बताया कि इस समय आनन्दपुर स्कूल में 9 से 12 तक 600 के करीब बच्चे हैं। लेकिन केवल तीन ही नियमित शिक्षक हैं। शेष अतिथि ही हैं। जो भवन है वह भी पर्याप्त नही होने से बच्चों को बैठने में दिक्कत होती है और बच्चों को पढ़ाई भी प्रभावित होती है।

कालादेव में पूरा स्कूल अतिथियों के भरोसेकालादेव हायर सेकंडरी स्कूल प्रभारी गीता साहू ने बताया कि इस सत्र में स्कूल में 342 बच्चे हैं और मैं यहां एकमात्र नियमित शिक्षक हूं, शेष सभी अतिथि हैं। लेकिन समस्या यह भी है कि हर विषय के अतिथि भी नहीं मिल पाते। ऐसे में सभी विषयों की पढ़ाई बच्चों के अनुकूल नही हो पाती।

उनारसीकलां हायर सेकंडरी स्कूल प्रभारी भूरेलाल विश्वकर्मा ने कहा कि 9 से 12 तक 252 बच्चे हैं। 1998 में हाई स्कूल और 2013 में हायर सेकेंडरी घोषित हो गया। लेकिन हालात नहीं बदल सके। न तो आज तक भवन है न ही शिक्षक। हायरसेकंडरी स्कूल के शिक्षक होते हुए भी भूरेलाल विश्वकर्मा यहां के प्रभारी प्राचार्य हैं।

24 साल में भी नहीं मिला भवन-स्टॉफ

क्षेत्र के जावती, सुनखेर, ओखलीखेड़ा के स्कूलों का वर्ष 1998 में मिडिल से हाईस्कूल में उन्नयन तो हो गया, लेकिन इनको पिछले 24 साल में भी न तो भवन मिल पाया और न ही शिक्षक। महोटी हाईस्कूल प्रभारी रामेश्वर शर्मा, ईसरवास के प्रभारी आदित्य कौशल ने बताया कि भवन तो बना है, पर शिक्षक कोई भी नही है। हमारे हाई स्कूलों में हम ही प्रभारी हैं। बाकि तो अतिथियों के भरोसे चल रहे हैं। जावती हाई स्कूल में 163, बच्चे 9 से 10 तक हैं पर जावती में न तो मिडिल का भवन है और न ही हाईस्कूल का। यहां प्राथमिक से हाइस्कूल तक के कुल 411 बच्चे हैं,जिनको इधर–उधर बैठाकर कक्षाएँ लगानी पड़तीं हैं।

लटेरी ब्लॉक में अक्टूबर वर्ष 2021 में हाई, हायर सेकेंडरी स्कूलों में 57 शिक्षक आये थे, जिनमें से 53 का अभी ट्रांसफर हो गया, जबकि बदले में मात्र एक शिक्षक तबादला होकर लटेरी में आये हैं। जबकि हायर सेकेंडरी में कम से कम 11 शिक्षक तो होना ही चाहिए बाकी बच्चों के मान से संख्या बढ़ जाती है।

छात्रों ने कहा- शिक्षकों के न होने से पढ़ाई प्रभावित

छात्रा वैशाली अहिरवार, महक सेन, अनुज बघेल, संतोष भावसार, दीपिका बघेल, सोनम साहू आदि ने कहा कि आनन्दपुर स्कूल शिक्षक नही है। स्कूल में बैठने की व्यवस्था नही होने से बहुत से बच्चों को एक साथ बैठना पड़ता है। शिक्षकों का तबादला होने से शिक्षकों की कमी हो गई। हमारी 10-12 वीं की बोर्ड परीक्षा आने वाली है,पर यहां पढ़ाई का माहौल ही नहीं है।

वर्जन
हाई, हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षकों की कमी है। अतिथि शिक्षकों के माध्यम से पढ़ाई हो रही है। जहाँ पर स्कूल भवन नही है वहां की जानकारी हमने विभाग को भेज दी है। इस सत्र की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसलिए जरूरत होने पर और अतिथि शिक्षकोंको रखा जाएगा।
वीरेंद्र सिंह बघेल, बीईओ लटेरीक्षेत्र में स्कूलों में स्टाॅफ नही है। स्कूल भवन नही है इसकी जानकारी मैने भी ली थी। मैं भी अपनी ओर से पूरे प्रयास कर रही हूं, ताकि क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था सुधर सके।

-पार्वती गगनेंद्र रघुवंशी, सदस्य जिला पंचायत विदिशा 

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लटेरी ब्लॉक में हमने सबसे पहले अतिथि शिक्षकों को रखा है। जिन हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों में भवन नहीं हैं, या किसी कारण से रुके हैं, उनके कारणों का पता लगवाकर समस्या समाधान कराएंगे।