Tuesday, September 23

EWS को 10% आरक्षण पर कल फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट, संविधान का उल्लंघन बताकर दी गई है चुनौती

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को EWS को 10% आरक्षण देने वाले संविधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा, जिसे लंबी बहस और सुनवाई के बाद 27 सितंबर को सुरक्षित रख लिया गया है। याचिकाओं के माध्यम से EWS को आरक्षण देना संविधान का उल्लंघन बताया गया है।

आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग यानी EWS को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार यानी 7 नवंबर को फैसला सुनाएगा। इस मामले की सुनवाई CJI यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला की पांच जजों की बेंच कर रही है। शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर को इस कानूनी सवाल पर फैसला सुरक्षित रख लिया था कि क्या EWS को आरक्षण देने से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन हुआ है या फिर नहीं हुआ है।
जनवरी 2019 में सरकार ने संविधान में 103वां संसोधन करते हुए आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण दिया था, जिसके बाद तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) सहित कई लोगों ने चुनौती दी है।
EWS में संविधान का नहीं हुआ है उल्लंघन: केंद्र सरकार
वरिष्ठ वकील शेखर नफड़े ने तमिलनाडु सरकार की ओर से EWS कोटे का विरोध करते हुए कहा है कि आरक्षण देने का आधार आर्थिक मानदंड नहीं हो सकता है। शीर्ष अदालत को सरकार के इस फैसले पर विचार करना चाहिए। वहीं केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील ने कहा कि यह कानून गरीबों के लिए आरक्षण का प्रविधान करता है। इस कानून से संविधान के मूल ढांचे को और अधिक मजबूती मिलेगी। EWS कानून में किसी भी प्रकार से संविधान का उल्लंघन नहीं हुआ है।
EWS किसी वर्ग के लोगों का कम नहीं करेगा अधिकार
EWS आरक्षण का समर्थन करते हुए तब के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह कानून किसी भी तरह से अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों को नहीं कम करेगा। EWS को पहली बार आरक्षण दिया गया है। दूसरी ओर जहां तक अन्य वर्ग के लोगों का सवाल है तो उन्हें सकारात्मक कार्यों के माध्यम से लाभ दिया जा रहा है।
27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा है फैसला
CJI यूयू ललित की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने लंबी सुनवाई के बाद 27 सितंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। CJI यूयू ललित मंगलवार यानी 8 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, जिससे पहले वह 7 नवंबर को फैसला सुनाने वाले हैं।