बुधवारको लोक निर्माण विभाग की सेतु शाखा ने पारासरी नदी पुल के दोनों ओर बोरिंग कर भूमि का परीक्षण किया ताकि इस पुल के निर्माण का प्रस्ताव तैयार कर शासन को स्वीकृति के लिए भेजा जा सके।
पंाच साल पहले भी तत्कालीन विधायक हरिसिंह रघुवंशी की मांग पर सांसद सुषमा स्वराज ने पारासरी नदी पुल को दोनों तरफ चार- चार फीट चौड़ा करने का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन प्रस्ताव को स्वीकृति नही मिल पाई। लोक निर्माण विभाग के एसडीओ एलएस यादव ने बताया कि पुल निर्माण के लिए विभाग की सेतु शाखा को पत्र भेजा गया था। पुल का प्रस्ताव तैयार करने से पहले भूमि की जांच की जा रही है पारासरी नदी पर बना पुल सौ साल पुराना है। इसे ग्वालियर स्टेट के दौरान बनाया गया था। उस समय पुल पैदल चलने और छोटे वाहनों की आवाजाही को दृष्टिगत रखते बनाया गया था। वर्तमान में शहर के विस्तार के साथ ही वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वाहन भी 60 टन भार ढोने वाले चल रहे हैं। इससे पुल निर्माण के लिए भूमि का परीक्षण जरूरी है। उसी के अनुसार पुल की लागत निकाली जा सके। वर्तमान में पुल बहुत छोटा और जर्जर है। रोज जाम लगता है इससे नागरिक और वाहन चालक परेशान रहते हैं। पारासरी नदी पर हुए भूमि परीक्षण से यह संभावना रफ्तार पकड़ती जा रही है कि पुल का विस्तार भविष्य में होना तय है। दूसरी तरफ लोक निर्माण विभाग भी स्टेशन से सिरोंज चौराहे तक सड़क निर्माण का जो भी प्रस्ताव तैयार कराएगा वह टूलेन सड़क के मान से होगा।