विदिशा. विदिशा और रायसेन जिले की जीवन रेखा के रूप में हलाली नदी पर स्थापित सम्राट अशोक सागर परियोजना हलाली बांध के नाम से जानी जाती है। यह पहला मौका है जब 50 साल के अपने इतिहास में हलाली बांध दो सौ फीसदी भरा है और इसकी वेस्ट वियर अक्टूबर में भी चल रही है। लेकिन अब इस बांध में किसानों को खेतों की फसलों को बचाने की मंशा से इसमें गेट लगाए जा रहे हैं, जिससे वेस्ट वियर से बहने वाले पानी को नियंत्रित किया जा सकेगा।
गेट लगने से किसानों को मिलेगी राहत
हलाली बांध का जल स्तर जब भी 1508 फीट से अधिक होता है तो इसकी वेस्ट वियर से बहने वाला पानी आसपास के किसानों के खेतों में भरकर उनकी फसल को बुरी तरह प्रभावित करता है। यहां के किसान खेती नहीं कर पाते। ऐसे में खेतों में सिंचाई के लिए बनाए गए बांध से खेती ही नहीं हो पा रही थी। इस समस्या के सामने आने पर इस बांध में 24 करोड़ रूपए की लागत से पांच गेट लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अब यह काम द्रुत गति पर चल रहा है और अगले साल बारिश से पहले यह काम पूरा कर लेने की योजना है। इन गेट के लगते ही वेस्ट वियर से बहने वाले पानी को नियंत्रित किया जा सकेगा और फिर करीब एक हजार हेक्टेयर क्षेत्र के खेतों में खेती निर्बाध रूप से हो सकेगी।
पहली बार चली संग्रामपुर की वेस्ट वियर
सम्राट अशोक सागर परियोजना के कार्यपालन यंत्री राजीव कुमार जैन बताते हैं कि हलाली बांध के इतिहास में यह पहला मौका है जब बांध अपने तय जल स्तर से दो सौ फीसदी ज्यादा भरा है। इसके साथ ही संग्रामपुर में एक ओर वेस्ट वियर है जो अतिरिक्त से भी अतिरिक्त पानी होने पर ही चलती है। इस बार यह वेस्ट वियर भी पहली बार ही चली है।
बर्रो नहर से सिंचित होंगे दो हजार हेक्टेयर खेत
इसके अलावा बर्रो परियोजना का काम भी पूरा होने को है। इसके पूरा होते ही क्षेत्र के करीब दो हजार हेक्टेयर में सिंचाई होगी। इस नहर में भी हलाली बांध का ही पानी उपयोग होगा।