Wednesday, September 24

राजस्थान की राजनीति में एमपी जैसे हालात, जब सिंधिया ने छोड़ दी थी कांग्रेस

भोपाल। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर राजस्थान सरकार में मची अंदरूनी खींचतान 2020 में मध्यप्रदेश की खींचतान जैसी है। तब दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की अंदरूनी कलह से ही नाराज होकर पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। अब लगभग ऐसे ही हाल राजस्थान कांग्रेस में बन गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत और सचिन पायलट के खेमे एक-दूसरे के विपरीत ध्रुव बनकर खड़े हैं।

तत्कालीन सीएम कमलनाथ, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, सिंधिया में अंदरूनी तौर पर टकराव के हालत थे। तब नाथ-दिग्विजय एकसाथ हो गए थे। सिंधिया अलग पड़ गए थे। सिंधिया ने कई मौकों पर अपना दर्द बयां किया था, लेकिन नाथ-दिग्विजय तब पार्टी छोड़ने और सरकार गिरा देने जैसे घटनाक्रम की उम्मीद नहीं कर सके।

सिंधिया-पायलट की समानता: सिंधिया तब नाथ से तालमेल नहीं बैठा पा रहे थे। ऐसे ही सचिन पायलट का सीएम अशोक गहलोत से तालमेल नहीं बैठ रहा। सिंधिया के खिलाफ नाथ के साथ दिग्विजय हो गए थे। सचिन के खिलाफ गहलोत के साथ वरिष्ठ विधायक-मंत्री हैं। सिंधिया समर्थकों को सत्ता में तवज्जो नहीं मिली थी। सचिन समर्थकों के साथ भी लगभग यही स्थिति है।

सड़क पर उतरने का बयान

सार्वजनिक तौर पर सिंधिया का सड़क पर उतरने का बयान आया था। मीडिया ने कमलनाथ से पूछा तो उन्होंने दो टूक कह दिया था कि जिसे सड़क पर उतरना है, उतर जाए। कुछ समय बाद ही सिंधिया ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया।

लोटस-2 से सत्ता परिवर्तन

सिंधिया ने मार्च 2020 में सत्ता परिवर्तन की कहानी को अंजाम दिया। दिल्ली में भाजपा जॉइन की। समर्थक विधायक-मंत्री भी साथ आ गए। 20 मार्च को नाथ ने इस्तीफा दे दिया। 23 मार्च को शिवराज सिंहने सीएम पद की शपथ ली।