Tuesday, September 23

PFI पर सरकार लगा सकती है प्रतिबंध, एक्शन के लिए सुरक्षा एजेंसियां बना रही रणनीति

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ बीते गुरुवार 22 सितंबर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)ने देशभर में छापेमारी की है, जिस दौरान 100 से अधिक PFI के सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया था। इन सदस्यों से जांच एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं, जिससे देश में टेरर मॉड्यूल फैलाने सहित सभी आरोपों से जुड़े सबूत जुटाए जा सकें। इसी पूछताछ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार के पटना वाली रैली को टारगेट करने का खुलासा हुआ है, जिसके लिए PFI ने प्रशिक्षण भी दिया था। PFI का गिरफ्तार सदस्य शफीक पायेथ ने जांच एजेंसियों के सामने इससे जुड़े सभी राज उगले हैं।

इसी बीच अब PFI पर देश में प्रतिबंध लगने की उम्मीद जताई जा रही है। दरअसल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाने की कवायद साल 2017 से ही चल रही है, लेकिन अभी तक सभी एजेंसियां प्रतिबंध लगाने को लेकर एकमत नहीं थी। इस बार विभिन्न एजेंसियां मिलकर संयुक्त रूप से PFI के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं, जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार PFI के खिलाफ सख्त फैसला ले सकती है।
PFI पर नकेल कसने के लिए ठोस योजना बना रही हैं एजेंसियां
PFI पर विदेशों से सहायता प्राप्त करते हुए देश में टेरर मॉड्यूल तैयार करने, सिमी सहित कई आतंकी संगठन के साथ संबंध होने, संवेदनशील स्थानों पर हमले की तैयारी करने सहित कई गंभीर आरोप हैं, जिसके कारण एजेंसियां इन सभी आरोपों के खिलाफ सबूत जुटा रही हैं। एजेंसियां डोजियर (आपराधिक रिकॉर्ड की फाइल) के आधार पर PFI के खिलाफ एक ठोस योजना तैयार कर रही हैं, जिसके आधार पर संगठन की गतिविधियों पर पूरी तरह से नकेल कसी
साल 2017 में ही पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगाने की थी तैयारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने साल 2017 में PFI के खिलाफ पूरे आपराधिक रिकॉर्ड की फाइल तैयार की थी। जिसके आधार पर इस पर प्रतिबंध लगाने की योजना थी, लेकिन एजेंसियों और अधिकारियों की राय इसके लिए अलग-अलग थी, जिसके कारण PFI पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सका था।
मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए PFI को मिले 60 करोड़ रुपए
जांच एजेंसियों ने इसी साल जून 2022 में PFI पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है, जिसमें बताया कि PFI को साल 2009 से अब तक मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए 60 करोड़ से अधिक रुपए मिले हैं, जिसमें 30 करोड़ रुपए नगद राशि शामिल है। इसके साथ ही देश में भी टेरर मॉड्यूल फैलाने के लिए फंड जुटाने का आरोप है। इसके अलावा PFI पर खाड़ी देशों से 500 करोड़ रुपए से अधिक फंड मिलने का भी आरोप है।