बेंगलुरु के ईदगाह मैदान गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था। इसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने देर रात हुबली के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति दे दी है। आज विवाद और टेंशन के बीच हुबली के ईदगाह मैदान में गणपति की स्थापना कर दी गई है। दोनों ही कोर्ट में ईदगाह मैदान को लेकर सुनवाई हुई जिस वजह से ये मैदान चर्चा में है लेकिन जगह अलग-अलग हैं।
ईदगाह मैदान में तीन दिनों के लिए गणेश चतुर्थी मनाने की मिली अनुमति
एक तरफ बेंगलुरु के ईदगाह मैदान है जहां राज्य सरकार को अपना मालिकाना हक साबित करना है जबकि हुबली के मामले में ऐसा नहीं है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को हुबली के ईदगाह मैदान में तीन दिनों के लिए गणेश चतुर्थी समारोह आयोजित करने के धारवाड़ हुबली नगर निगम के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संपत्ति हुबली धारवाड़ नगर निगम (प्रतिवादी) की है और इसका उपयोग नियमित गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और ये किसी का धार्मिक स्थल भी नहीं है। इसलिए इस मामले में कोई यथास्थिति नहीं दी जा सकती है।
बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में नहीं मिली गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया था जिसमें कोर्ट ने बेंगलुरु के चामराजपेट के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति दी थी। इसके कुछ घंटों बाद ही मंगलवार को हुबली मैदान को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला आया था।
क्या है दोनों मैदानों से जुड़ा विवाद?
बता दें कि कर्नाटक का हुबली ईदगाह मैदान पर भी कब्जे और अधिकार की लड़ाई लंबे समय से चल रही है। यहाँ एक मुस्लिम संगठन और नगर निगम दोनों ही अलग-अलग दावा करते हैं। हुबली निगम ने 1920 में इसे बनाया था और 1921 में अंजुमन-ए-इस्लाम संस्था को ये जमीन लीज पर दी गई थी जिसके लिए एक रुपये का वार्षिक किराया दिया जाता है। बाद में नगर निगम ने इसपर अपना अधिकार जमा लिया और तबसे ये मामला कोर्ट में है।
बात करें बेंगलुरु के ईदगाह मैदान की तो ये अभी प्लेग्राउन्ड के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। ईद के अवसर पर यहाँ नमाज भी अदा की की जाती है। इस जमीन के स्वामित्व को लेकर भी काफी लंबे समय से विवाद है। एक तरफ मुस्लिम पक्ष इसे वक्फ बोर्ड की जमीन बताता है तो दूसरी तरफ राज्य सरकार भी इसपर दावा करती है।