Monday, September 29

सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने से रोका, बेंच गठित करने का निर्देश

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच जारी सियासी संघर्ष को लेकर बड़ी खबर है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करने के लिए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका पर फैसला नहीं किया जाता है, तब तक कोई निर्णय न लें। देश की शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में एक बेंच गठित की जाए। मामला कल सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा।

शिवसेना प्रमुख और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना खेमे ने महाराष्ट्र विधानसभा के नए अध्यक्ष के चुनाव को चुनौती देने वाली सर्वोच्च कोर्ट में अपनी याचिका दायर की है। ठाकरे गुट ने शिंदे खेमे के भरत गोगावाले को विधानसभा में शिवसेना का मुख्य सचेतक नियुक्त करने के स्पीकर के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने 16 बागी (शिंदे खेमे के) विधायकों को निलंबित करने की मांग करते हुए एक याचिका भी दायर की है, जिनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं लंबित हैं।

एक दिन पहले ही विधानसभा सचिव ने शिवसेना के 55 विधायकों में से 53 को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इनमें से 39 विधायक एकनाथ शिंदे के खेमे के और 14 विधायक उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के हैं। शिवसेना में विद्रोह के बाद से उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले दोनों खेमे बार-बार खुद को असली शिवसेना होने का दावा कर रहे है।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के अधिकतर विधायकों ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी और उससे एनसीपी और कांग्रेस से संबंध तोड़ने को कहा था। पार्टी में विद्रोह के कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी जिसके बाद 30 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री के रूप में और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के देवेंद्र फडणवीस ने उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।