मुंबई: महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट और गहराता जा रहा है। दरअसल शिवसेना प्रमुख व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की भावनात्मक अपील को दरकिनार करते हुए गुवाहाटी में मौजूद बागी शिवसेना विधायकों ने सर्वसम्मति से एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुन लिया है. शिंदे खेमे ने इसका एक वीडियो भी जारी किया है।
गुवाहाटी में अपने साथ विधायकों को शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे ने कहा “वे (बीजेपी) एक राष्ट्रीय पार्टी हैं… उन्होंने मुझे कहा है कि मैंने जो निर्णय लिया है वह ऐतिहासिक है, और जब भी मुझे उनकी आवश्यकता होगी वे हमारा साथ देने के लिए मौजूद रहेंगे।”
शिवसेना के बागी समूह ने 40 से अधिक शिवसेना विधायकों के समर्थन का दावा किया है, जबकि शिवसेना के पास लगभग 15 विधायक हैं। ऐसे में शिवसेना के टूटने की संभावना बहुत अधिक बढ़ गई है। इस खतरे को भांपते हुए बुधवार शाम को उद्धव ठाकरे ने सोशल मीडिया के माध्यम से राज्य को संबोधित किया और दोनों महत्वपूर्ण पदों से हटने की इच्छा व्यक्त की, बशर्ते कि मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में असंतुष्ट समूह उनसे मिलने आए। हालांकि, शिंदे ने तुरंत मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को ठुकरा दिया, अपनी पूर्व शर्त को दोहराते हुए शिवसेना को पहले एनसीपी और कांग्रेस के साथ महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन से बाहर निकलने के लिए कहा।
इसके बाद, आज सुबह शिवसेना ने अपने सहयोगियों को झटका देते हुए महाविकास अघाड़ी गठबंधन तक को छोड़ने की बात कह दी। लेकिन इसका भी शिंदे की अगुवाई वाले बागी खेमे पर कोई असर नहीं पड़ा। बल्कि एमवीए में शिवसेना के साथी एनसीपी और कांग्रेस नाखुश जरुर हो गए।
शिवसेना सांसद और मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने गुरुवार सुबह एमवीए के बाहर निकलने के लिए पार्टी की तत्परता के बारे में विद्रोहियों को एक सशर्त पेशकश की। राउत ने मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोहियों के समूह को एक और चुनौती देते हुए कहा, “हम एमवीए से बाहर निकलने के लिए तैयार हैं, बशर्ते विद्रोही 24 घंटे के भीतर मुंबई लौट आए और शिवसेना के साथ चर्चा करें।”
उन्होंने विद्रोहियों के समूह से असम में बैठे सोशल मीडिया या फोन संदेशों या पत्रों या बयानों पर संवाद करना बंद करने का आह्वान किया और सच्चे शिव सैनिकों की तरह, मुंबई आने की हिम्मत दिखाने को कहा। लेकिन अब तक इसका ओई फायदा शिवसेना को होता नहीं दिख रहा।