विदिशा. पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की गतिविधियां जोरों पर हैं। लेकिन दोनों ही चुनावों और दोनों ही दलों में खूब मचौना है। जिला पंचायत चुनाव में तो नामवापसी की तारीख बीत जाने के बाद भी भाजपा और कांग्रेस अपने समर्थित उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं कर पाए। भाजपा ने 19 में से मात्र 10 उम्मीदवारों की सूची जारी की, शेष नौ उम्मीदवारों में वे भी अपनी पार्टी के उन कार्यकर्ताओं को नहीं समझा पाए जो जिला पंचायत चुनावों में अपनों के खिलाफ ही लड़ाई में हैं। इसी तरह कांग्रेस की हालत तो और खराब है। वह अभी तक जिला पंचायत के किसी भी वार्ड में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार की घोषणा नहीं कर सकी है। उधर नगरीय निकाय के लिए नामांकन दाखिला शुरू हो गया, लेकिन अभी दोनों ही दल सर्वे और बैठकों की बातों में ही उलझे हैं। दरअसल दोनों दलों की सूचियां तैयार हैं, औपचारिकता की मोहर लगाकर घोषणा इस डर से नहीं की जा रही कि नाम घोषित होते ही बवाल मचना शुरू हो जाएगा, बगावत तेज हो जाएगी और दलों को डैमेज कंट्रोल के लिए उतरना होगा।
भाजपा साध रही एक तीर से तीन निशाने
विदिशा नगरपालिका के पार्षदों की सूची में किसी एक नेता नहीं बल्कि कुछ बड़े नेताओं को साधने और उनके समन्वय की बात सामने आई है। यह भी हो रहा है कि कुछ बड़े नेताओं को 5-7 वार्ड देकर उनमें अपने चहेतों के नाम तय करने और उन्हें जिताने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें मुकेश टंडन, श्यामसुंदर शर्मा, तोरणसिंह, मनोज कटारे, मंडल अध्यक्षों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। वे ही अपने चंद नाम तय करेंगे और अपनी अनुशंसा वाले लोगों को जिताकर लाएंगे। इससे एक तीर से भाजपा तीन निशाने साधेगी। पहला यह कि किसी एक नेता के वर्चस्व का आरोप नहीं लगेगा, दूसरा सभी बड़े नेताओं को संतुष्ट कर उनके लोगों को टिकट दिया जा सकेगा और तीसरा यह कि किसी नेता से बगावत की आशंका नहीं रहेगी और अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए वे पूरा प्रयास करेंगे, इससे परिषद के अधिक पार्षद भाजपा के पहुंच सकेंगे।
कांग्रेस की सूची में विधायक का वर्चस्व
वहीं कांग्रेस में भी यही हाल है। अधिकांश नामों की सूची तैयार हो चुकी है। विदिशा नगरपालिका के लिए उम्मीदवारों की सूची में विधायक शशांक भार्गव का वर्चस्व है। अधिकांश नाम उनकी सहमति या उनकी ही अनुशंसा से तय किए गए हैं। हालांकि आवेदनों की औपचारिकता अभी भी निभाई जा रही है। संभव है कि ऐनवक्त पर कोई नाम बदल दिए जाएं। लेकिन कांग्रेस की सूची भी 15 जून के बाद ही जारी होने के आसार हैं।
उम्मीदवारी की आस में नामांकन की तैयारी
नगरपालिका में अधिकृत पत्याशियों की घोषणा में समय लग रहा है। ऐसे में चुनाव लड़ने के सभी इच्छ़ुक लोग अपने-अपने वार्ड से कांग्रेस- भाजपा की ओर से खुद को प्रत्याशी मानकर उम्मीदवारी घोषित होने की आस में अपने नामांकन भरने की तैयारी में जुटे हुए हैं। कुछ ने सोमवार को भर भी दिए। इनमें से बहुत से पार्टी का टिकट न मिलने पर नाम वापस ले लेँगे, जबकि कुछ ऐसे होंगे जो पार्टी द्वारा उम्मीदवार न बनाए जाने पर भी अपना नामांकन वापस नहीं लेंगे और बी फार्म जमा न हो पाने पर खुद ब खुद निर्दलीय घोषित हो जाएंगे।