उज्जैन. शहर में कांग्रेस से महापौर प्रत्याशी के रूप में चली उहापोह की स्थिति खत्म हो गई है। कांग्रेस ने देर रात उज्जैन नगर निगम से महापौर प्रत्याशी के लिए तराना विधायक महेश परमार के नाम की घोषणा कर दी है। संभवत: निगम चुनाव में पहली बार है कि नियमित विधायक को महापौर का चुनाव लड़वाया जा रहा है। इसी के साथ महापौर प्रत्याशी घोषित करने में कांग्रेस भाजपा से आगे निकल गई है।
उज्जैन में महापौर पद को लेकर तराना विधायक महेश परमार का नाम शुरू से पार्टी हलकों में चल रहा था। विधायक परमार ने भी महापौर चुनाव लड़ने को लेकर एक तरह से रजामंदी दे दी थी। इंतजार सिर्फ कांग्रेस द्वारा घोषणा की जाना बाकी थी। हालांकि इस बीच महापौर प्रत्याशी पर बैरवा समाज से उम्मीदवार खड़े होने की मांग की गई थी। इसके लिए समाज का प्रतिनिधि मंडल गुरुवार को भोपाल में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से मिला भी था, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने विधायक महेश परमार के नाम पर मुहर लगा दी। ऐसे में अब उज्जैन में महापौर पद के लिए परमार का चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया। हालांकि सोशल मीडिया पर बतौर महापौर प्रत्याशी के रूप में परमार का नाम प्रमुखता से चल रहा था। वहीं परमार की ओर से महापौर चुनाव लड़ने के लिए शहर में राजनीतिक रूप से सभी साधने को कवायद भी शुरू कर दी थी। इसके पीछे वजह है कि पार्टी आलाकमान ने परमार को चुनाव की तैयारी करने के निर्देश दे दिए थे। बता दें कि महापौर प्रत्याशी के रूप में शहर में पहली बार है किसी नियमित विधायक को टिकट दिया गया। इससे पहले पूर्व विधायक को अवश्य महापौर का टिकट मिला है।
पहली बार बलाई समाज से प्रत्याशी
शहर में पहली बार महापौर पद के प्रत्याशी के रूप में बलाई समाज से टिकट मिला है। वर्ष 1999 में उज्जैन की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई थी। वर्ष 2000 में हुए चुनाव में भाजपा से बैरवा समाज से मदनलाल ललावत व कांग्रेस से कौरी समाज से पूर्व सांसद सत्यनारायण पंवार का टिकट दिया था। इसमें भाजपा के ललावत जीते थे। वर्ष 2005 के चुनाव में भाजपा ने केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया की बहन सुमित्रा चौधरी को प्रत्याशी बनाया था। यह रविदास समाज से हैं। उस चुनाव में बैरवा समाज से कांग्रेस प्रत्याशी सोनी मेहर ने जीत हांसिल की थी। इसके बाद के सभी चुनावों में दोनों पार्टियों ने बैरवा समाज से ही उम्मीदवार खड़े करते हैं। इस बार कांग्रेस ने बदलाव करते हुए बलाइ समाज से महापौर प्रत्याशी उतारा है।
पंचायत सदस्य से महापौर प्रत्याशी तक
महापौर प्रत्याशी महेश परमार ने राजनीति माधव कॉलेज से शुरू की थी। वे जिला पंचायत सदस्य के चुनाव जीते। वर्ष 2014 के पंचायत चुनाव में परमार जिला पंचायत अध्यक्ष बने। वर्ष 2018 में तराना विधानसभा से विधायक चुने गए थे। अब महापौर का चुनाव लड़ेेंगे।
सालभर पहले मतदाता सूची में जुड़वाया नाम
महापौर पद पर चुनाव लडऩे के लिए महेश परमार पिछले साल से तैयारी कर रहे हैें। उन्होंने स्थानीय निर्वाचन सूची में भी नाम जुड़वा लिया था। परमार ने दमदमा क्षेत्र 52 वार्ड निर्माण नगर से निर्वाचन सूची में नाम जुड़वाया है। 1979 में जन्मे परमार छात्र जीवन से राजनीति में हैं।
भाजपा को बनानी होगी नई रणनीति
महापौर प्रत्याशी के रूप में विधायक महेश परमार का नाम घोषित होने के बाद अब भाजपा को महापौर प्रत्याशी के लिए नए सिरे से रणनीति बनाना होगा। भाजपा में बलाई, बैरवा व वाल्मीकि समाज से महापौर पद के लिए दावेदारी हो रही है। ऐसे में पार्टी को बलाई समाज के साथ बैरवा समाज को साधते हुए महापौर प्रत्याशी का चुनाव करना होगा।