Thursday, September 25

यह है आज का मध्यप्रदेश, रुला देगी यह तस्वीरें

भोपाल। मध्यप्रदेश में शहर से लेकर गांवों तक विकास तो आजादी के बाद से चल रहा है, लेकिन आजादी के 70 सालों में आज भी गांवों तक कई सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं। मौत के बाद शवों को ले जाने के लिए साधन नहीं होते हैं, दूरदराज रहने वाले ग्रामीणों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस नहीं होते हैं। यहां तक की कई गांवों तक आज भी सड़क नहीं पहुंची है। नतीजा कई मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं और दम तोड़ने के बाद उन्हें सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दे सकते। मध्यप्रदेश के दो जगहों की यह ताजा तस्वीरें आपको भी झकझौर देगी। एक बार फिर चुनाव हो रहे हैं, लेकिन फिर वायदों के सहारे ही लोगों को गुजारा करना होगा।

एंबुलेस की जगह खटिया पर ले गए अस्पताल, मौत

भगवानपुरा. (खरगोन) यह तस्वीर भगवानपुरा के कांजिया फाल्या छोटी सिरवेल में देखने को मिली। जहां गर्भवती महिला शांतिबाई पति सियाराम खरते (32) को लेने के लिए एंबुलेंस नहीं पहुंची तो परिजन उसे खटिया पर लेटाकर तीन किमी दूर तक पैदल-पैदल चले। किंतु अस्पताल पहुंचने से पहले महिला ने दमतोड़ दिया। मौत के बाद शव को वापस घर तक लाने के लिए ग्रामीणों को बोझा ढोहते हुए आना पड़ा। ग्रामीण इनाराम सोलंकी आशाराम ओहरे, राजाराम ओहरे ने बताया कि शांताबाई को सोमवार रात्रि 10 बजे पेट में अचानक दर्द हुआ। इसकी सूचना परिजनों ने आशा कार्यकर्ता को दी और अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस बुलाने की बात कही। करीब 3 घंटे से रात एक बजे एंबुलेंस छोटी सिरवेल तक पहुंची। बता दे कि छोटी सिरवेल से कांजियापानी तक तीन किमी का जर्जर मार्ग होने से एंबुलेंस नहीं आ सकती थी। इस दौरान परिजन गर्भवती को खटिया पर लेटाकर एंबुलेंस वाहन तक ले गए जहां से उसे चाचरिया के शासकीय अस्पताल लाया गया। यहां महिला की स्थिति गंभीर होने पर सेंधवा रेफर किया गया। मंगलवार तड़के चार बजे रास्ते में ही महिला की मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि महिला को तीन किमी तक खटिया पर लेटाकर ले गए व उसके मृत शव को भी खटिया से घर तक ले गए। जिसके बाद गांव में अंतिम संस्कार किया।

वाहन नहीं, कंधे पर मासूम की लाश

दूसरी तस्वीर छतरपुर जिले के बकस्वाहा में देखने को मिली। यहां भी मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई। जिला अस्पताल में चार वर्ष की राधा अहिरवार की मौत के बाद परिजन बकस्वाहा तक तो शव ले आए, पर वहां से 4 किमी दूर स्थित गांव पोंडी तक शव ले जाने के लिए शव वाहन नहीं मिला। ऐसे में चाचा ने शव को कंधे पर रखकर पैदल चलना शुरू कर दिया। खबर फैली तो बाद में नगर परिषद ने वाहन की व्यवस्था कर शव को गांव तक पहुंचाया। तब तक चाचा आधा फासला तय कर चुका था। एसडीएम ने कहा, दोषियों पर कार्रवाई होगी।

मध्यप्रदेश में पहले भी आए कई मामले

बीनागंज। चांचौड़ा तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम घोलल्ला खेड़ा में वर्षों से सड़क नहीं बनाई गई है। यहां खटिया में लिटाकर ही अस्पताल पहुंचाया जा सकता है। इसके अलावा सड़क न होने की गंभीर समस्या से मधुसूदनगढ़ क्षेत्र के कई गांव भी है। ग्राम रामहेड़ा में भी कई लोगों को खटिया पर रखकर एंबुलेंस तक ले जाया जाता है। यह दोनों ही क्षेत्र चांचौड़ा विधानसभा क्षेत्र में आते हैं।