Saturday, September 27

केरल से कानपुर तक क्या चीन PFI के जरिए भारत को अस्थिर करने में जुटा है?

कानपुर में 3 जून को हुई हिंसा में भी PFI का कनेक्शन सामने आ रहा है। इससे पहले भी कई हिंसा मामलों में PFI का लिंक सामने आ चुका है। पर क्या आप जानते हैं इस संगठन को चीन का समर्थन मिल रहा है? चीन कैसे PFI के जरिए भारत को अस्थिर करने के प्रयास कर रहा है इस रिपोर्ट में समझिए विस्तार से…

शनिवार को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हिंसा देखने को मिली। ये हिंसा शहर के परेड चौक इलाके में हुई जिसमें 40 लोग घायल हो गए थे। इस मामले में पुलिस ने अब तक 29 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। यही नहीं इस हिंसा में PFI का कनेक्शन भी सामने आ रहा है जिसकी जांच शुरू कर दी गई है। इससे पहले दिल्ली और हाथरस में हुए दंगों में भी इस संगठन का नाम सामने आ चुका है। केरल में भी अक्सर कई घटनाओं में इस संगठन का नाम सामने आता रहा है। हाल ही में एक खुलासे में सामने आया है कि पिछले कुछ सालों से इस संगठन को चीन से फंड मिल रहा है जिसका इस्तेमाल वो भारत में अशान्ति फैलाने के लिए कर रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्या चीन PFI जैसे संगठनों का इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए कर रहा है?
केरल से कानपुर तक क्या है PFI का कनेक्शन?
कानपुर में 3 जून को हुई हिंसा के मामले में पुलिस को PFI से जुड़े दस्तावेज प्राप्त हुए हैं जिसकी जांच की जा रही है। ये तो कानपुर की बात रही। कुछ समय पहले दिल्ली के जहांगीरपुरी हिंसा में भी PFI कनेक्शन सामने आया था।

जहांगीरपुरी हिंसा: दिल्ली की क्राइम ब्रांच ने दावा किया था कि हनुमान जयंती के अवसर पर PFI के सदस्यों ने जहांगीरपुरी में बैठक कर शोभायात्रा को बाधित करने और हिंसा को अंजाम देने की पूरी साजिश रची थी।

दिल्ली दंगा: इससे पहले उत्तर-पूर्वी दिल्ली में CAA-NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को भी भड़काने में चरमपंथी संगठन PFI का लिंक सामने आया था।

बेंगलुरु हिंसा: 11 अगस्त 2020 में कर्नाटक के बेंगलुरु में हुई हिंसा में PFI और SDPI दोनों संगठनों के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया था।

असम हिंसा: वर्ष 2020 में ही असम में हुए CAA-NRC के विरोध प्रदर्शन को भड़काने के आरोप में 2 PFI के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था।

गौर करें तो पिछले कुछ वर्षों में हुई हिंसा के मामलों में PFI की भूमिका केरल से बढ़कर कई राज्यों में देखने को मिली है। खास बात ये है कि इस तरह की हिंसा के लिए फंड की काफी आवश्यकता पड़ती है, ऐसे में ED के खुलासे ने इस फंड से भी पर्दा उठा दिया है जिसमें चीन का कनेक्शन सामने आया है।

क्या है चीनी कनेक्शन?
हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विवादास्पद संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया खाड़ी देशों से धन जुटा रहा है। जांच एजेंसी के सूत्रों ने ये भी जानकारी दी है कि खाड़ी देशों के अलावा PFI ने चीन से 1 करोड़ रूपए से अधिक के फंड जुटाए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) पहले ही PFI की संपत्ति कुर्क कर चुकी है और जांच कर रही है।

प्रवर्तन निदेशालय का चीनी फंडिंग का खुलासा
प्रवर्तन निदेशालय ने खुलासा करते हुए कहा है कि PFI का सदस्य केए रऊफ शरीफ का चीनी कनेक्शन है। राउफ को चीन से मास्क ट्रेडिंग की आड़ में एक करोड़ रुपये मिले थे। ये वही रऊफ शरीफ है जिसका नाम हाथरस मामले में सामने आया था जहां सामूहिक दुष्कर्म के बाद एक दलित महिला की मौत हुई थी।

यही नहीं रऊफ शरीफ रेस इंटरनेशनल एलएलसी, ओमान का कर्मचारी भी रह चुका है और इस कंपनी के चार निदेशकों में से दो चीनी थे, और दो केरल के NRI थे। साल 2019 और 2020 में रऊफ चीन भी गया था तब उसके भारतीय बैंक के खाते में पैसे भी भेजे गए थे।


SDPI का भी चीनी कनेक्शन

इसके अलावा PFI के राजनीतिक संगठन SDPI का भी चीनी कनेक्शन सामने आया है। SDPI से जुड़े कलीम पाशा को एक चीनी कंपनी जम्पमंकी प्रमोशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के जरिए 5 लाख रुपये मिले थे। ये वही कलीम पाशा है जिसका नाम बेंगलूरु दंगों में सामने आया था।

वर्ष 2019 से लेकर 2022 तक में PFI ने भारत में कई जगह साजिश के तहत हिंसा को भड़काया है जिससे स्पष्ट है कि वास्तव में चीन जोकि भारतीय सीमा पर मुंह की खाता है वो इस तरह के संगठनों की मदद कर भारत में अशान्ति फैलाने के पूरे प्रयास कर रहा है।