Tuesday, September 23

स्वास्थ्य सेवाओं के बुरे हाल, विशेषज्ञों के स्वीकृत पद 76, पदस्थ सिर्फ 8

विदिशा। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लाखों करोड़ों की लागत के भवन निर्मित किए गए। वि भिन्न सुविधाओं के वादे और दावे हुए लेकिन हालात यह कि जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को खुद उपचार की जरूरत है। जिले में चिकित्सा विशेषज्ञों की मौजूदगी देखें तो अफसोसजनक है। विशेषज्ञों के स्वीकृत पदों की संख्या 76 है, लेकिन सिर्फ 8 चिकित्सा विशेषज्ञ ही पदस्थ और 68 पद रिक्त है। ऐसे में बेहतर उपचार सेवा की कैसे उम्मीद की जा सकती है। इसके दुष्परिणाम भी यह कि मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर हो रहे हैं और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हो या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या करोड़ों रुपए का बना जिला अस्पताल सभी रेफर सेंटर बने हुए हैं।
जिले में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जिला अस्पताल में प्रथम श्रेणी चिकित्सा विशेषज्ञों के कुल 37 पद रिक्त है जबकि यहां सिर्फ 6 चिकित्सा विशेषज्ञ ही कार्यरत है। इस तरह जिले केे इस सबसे बड़े एवं मरीजों की उम्मीदों के अस्पताल में 31 पद खाली है। विशेषज्ञ पहले से ही पूरे नहीं थी जो उपलब्ध थे उनमें भी कई सेवा निवृत्त होते गए पर इन पदों की पूर्ति की तरफ ध्यान नहीं दिया गया फलस्वरूप जिला अस्पताल द्वितीय श्रेणी चिकित्सों के भरोसे है और ऐसे में इस कमी व अन्य संसाधनों के न होने से मरीज को रेफर होना पड़ रहा है।

बासौदा, सिरोंज अस्पताल एक-एक विशेषज्ञों के भरोसे
इसी तरह देखें तो जिले की अन्य अस्पतालों बासौदा एवं सिरोंज अस्पताल भ मुख्य अस्पतालों में शामिल हैं। यहां जन चिकित्सालय बासौदा में 10 विशेषज्ञों के पद स्वीकृत है लेकिन कार्यरत सिर्फ एक ही है। इसी तरह की िस्थति सिरोंज जन चिकित्सालय की है जहां 5 स्वीकृत पदों में से सिर्फ 1 ही विशेषज्ञ पदस्थ है। इन दोनाें ही प्रमुख अस्पताल में विशेषज्ञों के नाम पर सिर्फ 1-1 शिशु रोग विशेषज्ञ ही कार्यरत है, जबकि निश्चेतना, सर्जिकल, मेडिकल, स्त्रीराग विशेषज्ञ, अ िस्थ रोग जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं के पद खाली है। ऐसे में मरीजों को द्वितीय श्रेणी चिकित्सकों के भरोसे, या निजी अस्पतालों की शरण में जाना पड़ रहा है।

सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पद खाली

वहीं जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद में विशेषज्ञों की शून्यता है। जिले में सात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर किसी में भी चिकित्सा विशेषज्ञ नहीं है। जबकि सभी केंद्रों में विशेषज्ञों की आवश्यकता समझते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ, मेडिकल विशेषज्ञ, सर्जिकल विशेषज्ञों के यह तीन पद सभी सामुदायिक केंद्रों में स्वीकृत किए गए पर इन पदों की भरपाई वर्षों बाद नहीं हो सकी है। विशेषज्ञ विहीन इन स्वास्थ्य केंद्रों में पीपलखेड़ा, त्योंदा, कुरवाई, ग्यारसपुर, लटेरी, नटेरन, शमशाबाद शामिल है।

140 करोड़ का चार मंजिला भवन, 350 पलंग विशेषज्ञ सिर्फ 6

जिला मुख्यालय पर जिला अस्पताल के नए भवन से नागरिकों को काफी उम्मीद थी। 350 बिस्तरीय 140 करोड़ की लागत से बने इस 4 मंजिला ऊंचे भवन में उपचार सेवा भी ऊंचे स्तर की मिलने की संभावना जताई जा रही थी। भवन में आठ ओटी, तीन एक्सरे कक्ष,एसएनसीयू, एनआरसी, पैथोलॉजी विंग हर वार्ड में अपना आईसीयू, हर वार्ड ऑक्सीजन पाइप लाइन से जुड़ा और भी अन्य तमात सुविधाएं इस भवन में लेकिन विशेषज्ञ नहीं है। कुल स्वीकृत 37 विशेषज्ञों में सिर्फ 6 विशेषज्ञ ही रह गए और 31 पद रिक्त हैं। यहां दंत विशेषज्ञ, क्षय रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, निश्चेतना विशेषज्ञ, शल्य क्रिया विशेषज्ञ, अ िस्थ रोग विशेषज्ञ के पद रिक्त हैं। जो विशेषज्ञ उपलब्ध भी है तो इनमें एक निलंबित है। इस तरह कार्यरत में मेडिकल विशेषज्ञों में 3 पदों के विरुद्ध सिर्फ 1, शिशु रोग विशेषज्ञ में 7 पदों के विरुद्ध केवल 1,अ िस्थ रोेग में 2 पदों के स्थान पर 1,ईएनटी में भी 2 के स्थान पर 1, सर्जिकल में भी 2 के स्थान पर सिर्फ 1, रेडियोलॉजिस्ट में भी 2 के स्थान पर 1 विशेषज्ञ ही कार्यरत है।

वर्जन

विशेषज्ञों की कमी है। इसकी पूर्ति के लिए समय-समय पर वरिष्ठ कार्यालय से पत्र व्यवहार किया जाता रहा है। विषम परििस्थतियों में मरीज को मौजूदा विशेषज्ञों की सेवांएं दिलाई जाती है। विशेष दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्री रोग विशेषज्ञ की उपलब्धता कराकर गर्भवती महिलाओं को उपचार व जांच सेवा का लाभ दिलाया जा रहा है।

-डॉ. एपी सिंह, सीएमएचओ