Wednesday, September 24

पीएम किसान सम्मान निधि लौटाने किसानों को थमा रहे नोटिस, पहले बांट दिए करोड़ों रुपए, अब तहसीलदार कर रहे वसूली

भोपाल. मध्यप्रदेश में किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए सरकार ने पीएम सम्मान निधि योजना शुरू की थी, इस योजना के तहत सरकार ने किसानों को 2000-2000 रुपए करके तीन किश्तों में प्रत्येक किसान को 6 हजार रुपए दिए, लेकिन अब किसानों से पीएम सम्मान निधि लौटाने के लिए दवाब बनाया जा रहा है, पहले उन्हें किसान सम्मान निधि लौटाने के लिए नोटिस थमाए गए, लेकिन अब तहसीलदार के माध्यम से वसूली की जा रही है।

जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में सरकार द्वारा कई अपात्र किसानों को भी पीएम सम्मान निधि की राशि बांट दी गई है, इन किसानों से अब बांटी गई राशि वापस लेने के लिए नोटिस दिए गए हैं, हालांकि कुछ किसानों ने इस राशि को लौटा दिया है, लेकिन हजारों किसान ऐसे भी हैं, जिन्होंने इस राशि का उपयोग कर लिया है और अब वे राशि लौटाने के मुड में नहीं है, ऐसे किसानों से सरकार अब तहसीलदार के माध्यम से राशि वसूलने में जुट गई है, ऐसे ही एक मामला मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले से भी आया है।

2248 किसानों को बांटे 2 करोड़ रुपए
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत करीब 2 करोड़ 3 लाख रुपए अपात्र किसानों को बांट दिए गए हैं, जिनमें से करीब 667 मृतक किसान हैं वहीं 1581 किसान ऐसे हैं, जो आयकर दाता है, इन किसानों से पीएम किसान सम्मान निधि वापस करने के निर्देश दे दिए गए हैं।

वेरिफिकेशन में अपात्र निकले हजारों किसान
दरअसल पीएम किसान पोर्टल पर 53641 किसानों का पंजीयन है। केंद्र सरकार से मिलने वाली सम्मान निधि के तहत राशि की किश्ते जारी करने के बाद हजारों अपात्र किसान सामने आए। उन्हें भी योजना की किश्तें जारी कर दी थीं। पटवारियों द्वारा भौतिक सत्यापन करने के बाद अपात्र निकले किसानों से सरकारी राशि की वसूली का काम चल रहा है। राजस्व विभाग के माध्यम से नोटिस देकर आयकरदाता, व्यापारी, सरकारी कर्मचारियों से राशि की वसूली की जा रही है। मृतक एवं आयकरदाता किसानों की सूची तैयार कर नोटिस देकर राशि का वापस मांगा जा रहा है।

ये किसान माने जाते अपात्र

पीएम एवं सीएम किसान स?मान निधि के तहत शासन द्वारा सरकारी नौकरी वाले किसान, आयकरदाता, सेवानिवृत्त के बाद 10 हजार से अधिक की पेंशन लेने के साथ ही भूमि धारक व्यवसायी भी अपात्र माना गया है। पोर्टल पर दर्ज किसानों की संख्या के आधार पर शासन की तरफ से बिना जांच किए ही राशि जारी करने से यह गड़बड़ी सामने आई है।