Tuesday, September 23

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की स्वीकारोक्ति, कहा- SDM को यह अधिकार देना मेरी सबसे बड़ी गलती

भोपाल. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल के एक निर्णय को अपनी सबसे बड़ी गलती मानी है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने यह स्वीकारोक्ति कांग्रेस मुख्यालय में की। यहां प्रदेश कांग्रेस पंचायती राज संस्था प्रकोष्ठ के प्रदेशस्तरीय सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि धारा 144 के अधिकार SDM को देकर मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी। निष्पक्षता से काम करनेवाले चुने हुए जनप्रतिनिधियों या वकीलों का ही ट्रिब्यूनल बनाना चाहिए था।

प्रदेश में आगामी माह में पंचायत चुनाव होने हैं. इसकी तैयारियों के लिए कांग्रेस ने पंचायती राज संस्था प्रकोष्ठ का सम्मेलन आयोजित किया है जहां प्रदेशभर के प्रतिनिधी शामिल हुए हैं। इस सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उनके कार्यकाल के दौरान पंचायतों और ग्रामसभा के संबंध में लिए गए निर्णयों का जिक्र किया. इसी दौरान उन्होंने अपनी एक गलती भी स्वीकारी।
प्रदेश कांग्रेस पंचायती राज संस्था प्रकोष्ठ के प्रदेशस्तरीय सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा— जिले में बैठे अधिकारी गांव पर नियंत्रण नहीं कर सकते हैं। हमने इसीलिए ग्रामसभा के लिए कानून बनाया था, ग्राम समितियां बनाईं थीं। निर्णय लेने का अधिकार हमने जनप्रतिनिधियों को दिए थे लेकिन पूरा पंचायती राज आज शासकीय अधिकारियों के तंत्र से ही चल रहा है।
उन्होंने कहा— मेरे मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में एक कमी जरूर रह गई। धारा 144 के अधिकार SDM को देकर मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी। हमें चुने हुए जनप्रतिनिधियों या वकीलों का ही ट्रिब्यूनल बनाना चाहिए था जोकि निष्पक्षता से काम करें। इस व्यवस्था में तो जिसने SDM साहब की बात नहीं मानी, उसी पर धारा 144 की कार्रवाई हो जाती है। दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा कि हमारी सरकार बनने पर हम अब इसमें बदलाव करेंगे।
प्रदेश कांग्रेस पंचायती राज संस्था प्रकोष्ठ के इस प्रदेशस्तरीय सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया सहित अन्य अनेक वरिष्ठ नेता शामिल हुए हैं। इस सम्मेलन में कांग्रेस के सभी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्षों, जनपद पंचायतों के अध्यक्षों को भी बुलाया गया है. इन सभी से आगामी चुनावों के संबंध में विचार—विमर्श किया जाएगा और इन्हीं के फीडबैक के आधार पर ही चुनावी कार्ययोजना तैयार की जाएगी.