Thursday, September 25

रेत का अनोखा नजारा सुबह से देर रात तक चल रहा अवैध उत्खनन

मंडला/सिझौरा. नदियों व नालों का जल स्तर कम हो गया है। जिसका फायदा उठाकर रेत का अवैध उत्खन शुरू कर दिया गया है। जिले में अवैध खनन एक ऐसा रोग हो गया है, जिसकी जितनी दवा की जाती है, वह उतना बढ़ता जाता है। यानी सरकार नदियों में रेत के अवैध खनन को लेकर जितनी सख्त हो रही है, नदियों का सीना उतना ही छलनी हो रहा है। प्रदेश के कृषि मंत्री ने घोषणा की थी कि नर्मदा नदी में अवैध खनन करने वालों के ऊपर हत्या का मामला दर्ज होगा, लेकिन इसके बावजूद नदी को छलनी किया जा रहा है। मोहगांव, रामनगर, मनादेई के आससपास नर्मदा नदी से रेत निकाली जा रही है। तो वहीं हिरदेनगर, बम्हनी के आसपस सहित जिले की लगभग सभी नदियों में रेत का अवैध खनन जोरों पर है। कभी-कभार कुछ छोटे रेत चोरों के खिलाफ कार्रवाई कर संबंधित विभाग अपनी पीठ थपथपा लेता है। वर्तमान में विकास खंड बिछिया अंतर्गत ग्राम सिझौरा पोषक ग्राम फोक 11 डोंगरी क्षेत्र में इन दिनों राजस्व, बफर, वन सामान्य सीमा से अवैध उत्खनन करने वाले माफिया बेखौफ होकर और खनन कर रहे हैं। सुबह से ही आधा दर्जन ट्रेक्टर नदी में उतर जाते हैं। हलोन नदी के साथ छोटे छोटे नदी नालों से भी रेत निकाली जा रही है। सुबह से रात तक ट्रेक्टरों की धमाचौकड़ी जारी रहती है। लेकिन इस पर संबंधित विभागों की कोई कार्रवाई जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं देती है। खनिज विभाग भी जिले के नादियों से निकल रही अवैध रेत को रोकने में असफल दिखाई दे रहा है। जबकि प्रशासन को सूचना देने के लिए जिला प्रशासन का मैदानी अमला हर गांव हर पंचायत में तैनात है लेकिन क्षेत्र में चल रहे रेत के अवैध उत्खनन की सूचना खानिज विभाग, पुलिस व जिला प्रशासन तक नहीं पहुंच पाती। जब तक जिला प्रशासन को खबर मिलती है तब तक रेत माफिया फरार होने में कामयाब हो जाता है। कमजोर सूचना तंत्र का फायदा उठाकर रेत का करोबार जिले में तेजी से फल-फूल रहा है। वही दूसरी ओर पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे है। इसके साथ ही नादियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है और अवैध उत्खनन के क्षेत्रों में जल संकट गहराता जा रहा है। कई जगह नदियों में रेत का इतना खनन कर दिया गया है कि नदी की धारा में ही परिवर्तन हो गया है। जिसके चलते भविष्य में इन नदियो की बहने की दिशा ही बदल जाएगी और लोगों को बाढ़ जैसी विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। वहीं प्रशासन को राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।