जैसे-जैसे गर्मी अपना असर दिखा रही है जल संकट लगातार विकराल हो रहा है। ग्राम साहबा टपरा में रहने वाले हरिजन आदिवासियों के 82 परिवार गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं। गांव में फरवरी के अंत से शुरू हुए जल संकट को लेकर बस्ती की महिलाओं ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पौने दो महीने पहले एसडीएम रोशन राय को ज्ञापन सौंपा था।
एसडीएम ने पीएचई विभाग को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए थे लेकिन पीएचई ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। इस कारण बस्ती की महिलाओं और बच्चों को इस भीषण गर्मी में 2 किलोमीटर दूर नहारिया से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है। इस कारण मेहनतकश महिलाओं को कामकाज छोड़कर इसी काम में उलझी हुई हैं।
यह है स्थिति
यह गांव ग्राम पंचायत साहबा मुख्यालय से दो किलोमीटर दूरी पर है। इसे साहबा टपरा बस्ती के नाम से जाना जाता है। इस बस्ती में कुल 82 हरिजन आदिवासी परिवार रहते हैं। इन परिवारों के पुरुष महिलाएं मजदूरी कर अपना परिवार चलाती हैं।
पथरीले क्षेत्र में पेयजल के लिए 6 हैंडपंप लगाए गए हैं लेकिन फरवरी के अंतिम सप्ताह तक इन हैंडपंपों ने पानी निकालना बंद कर दिया। बस्ती के सिर्फ पुरुष मजदूरी करने जाते हैं। महिलाएं मजदूरी त्याग कर दिन भर पानी ढोने में व्यस्त रहती हैं।
जल सप्लाई पड़ी बंद, मोटर पंप जला
लखन सेन, रज्जू सेन ने बताया कि इस बस्ती के लिए पानी उपलब्ध कराने ग्राम साहबा से सरपंच शिवराज शर्मा ने पाइप लाइन बिछाकर नलकूप द्वारा विद्युत पंप से टपरा बस्ती तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था की थी लेकिन नलकूप में पानी कम होने से बिजली की मोटर जल गई। इस कारण नलकूप से भी पानी नहीं पहुंच पा रहा। इतने बड़े गांव में यह व्यवस्था भी ऊंट के मुंह में जीरे जैसी थी।
अब ग्राम नहारिया से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है। दरअसल जिस गांव से पानी ढोकर ला रहे हैं वह भी आदिवासी बहुल गांव है। उनको भी पेयजल की उतनी ही आवश्यकता रहती है जितनी टपरा बस्ती के लोगों को। इस कारण ऐसे समय ही पानी उपलब्ध हो पाता है।
15 साल से बंद पड़ी है पेयजल योजना
ग्राम साहबा में लाखों की लागत से नल जल योजना 15 साल पहले स्थापित हुई थी लेकिन योजना उसी समय से बंद पड़ी है। इस कारण वहां भी ग्रामीण दूरदराज खेतों में बने कुओं से पानी भर कर ला रहे हैं। पिछले साल स्पोर्ट योजना की व्यवस्था की गई थी।
इस योजना से गांव की ही जलापूर्ति पूरी नहीं हो पाती तो टपरा बस्ती के लिए कहां से पानी लाएं। वर्तमान में इसी नलकूप से पाइप डालकर टपरा बस्ती के परिवारों तक पेयजल आपूर्ति के लिए पाइप लाइन डाली गई थी लेकिन उसकी मोटर ही खराब हो गई। इस कारण जल संकट गहराया हुआ है। पिछले 15 सालों से पीएचई ने जल योजना प्रारंभ करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
हैंडपंप करा दिए जाएंगे ठीक
साहबा टपरा में हैंडपंप बंद पड़े हैं तो उनको ठीक करा दिया जाएगा। यदि वाटर लेवल ज्यादा नीचे चला गया है तो क्या व्यवस्था हो सकती है इस पर विचार किया जाएगा।
-हनुमंत कश्यप, एसडीओ पीएचई गंजबासौदा।
पानी के कारण परिवार चलाना मुश्किल
ग्यारसी बाई, प्रेम बाई, गायत्री बाई, जसोदा बाई आदिवासी ने बताया कि पति पत्नी दोनों ही मेहनत मजदूरी करते हैं तब परिवार का खर्च चल पाता है। शासन सिर्फ गेहूं उपलब्ध कराता है। तेल, मिर्च, मसाले, कपड़ा, दवाई आदि तो बाजार से ही खरीदना पड़ते हैं।