Tuesday, September 23

अन्य पिछड़ा वर्ग को साधने की होड़:पंचायत चुनाव का मसला सुलझा नहीं, विधानसभा-लोकसभा के लिए ओबीसी आरक्षण की मांग उठाएंगे कांग्रेस समर्थक संगठन

मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत हो गया। पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का लागू करने का रास्ता पूरी तरह से साफ नहीं हो चुका है। अन्य पिछ़ड़ा आयोग अभी इस पर कसरत कर रहा है। अब कांग्रेस से जुड़े संगठन विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी एससी-एसटी वर्ग की तरह अन्य पिछड़ा वर्ग की सीटें रिजर्व करने पर जोर देने लगे हैं। इसलिए 15 फरवरी को भोपाल एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिसमें मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ शामिल होंगे। इ दौरान यह मांग तो जाेर पकड़ेगी ही साथ ही कमलनाथ को सम्मानित किया जाएगा। ऐसा कर उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों को सुरक्षित करने वाले नेता की छवि के तौर पर पेश किया जा रहा है।

प्रदेश में सत्ता पाने के लिए ओबीसी मतदाता बड़ी भूमिका रहने वाले हैं। ऐसे में लुभाने के लिए सभी तरह की कोशिश की जा रही है। इसी क्रम में कांग्रेसी समर्थित संगठनों ने आगे कदम बढ़ाया है। वहीं पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू कराने का श्रेय लेने की होड़ प्रदेश के दोनों दलों में मची हुई है।

इससे पहले रविवार को भोपाल दलित िपछड़ा समाज संगठन का सम्मेलन हुआ। इस दौरान विधानसभा चुनाव, लोक सभा चुनाव में भी दलित आदिवासी की तरह पिछड़ों को भी आरक्षण दिए जाने की मांग उठाई गई। इसके लिए संगठन के राष्ट्रीय संयोजक व मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष दामोदर सिंह यादव ने दिल्ली तक आंदोलन आंदोलन शुरू करने की बात कही है। इसके लिए 15 फरवरी को पिछड़ा वर्ग के संगठनों द्वारा मानस भवन में कमलनाथ सम्मानित करने की योजना तैयार की है।

20 वर्ष से संघर्ष कर रहे ओबीसी वर्ग के लोग

सम्मेलन में शामिल हुए मप्र कांग्रेस के प्रवक्ता जेपी धनोतिया का कहना है कि मप्र में पिछड़ों की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है। लेकिन पिछले 20 वर्षो से पिछड़ा वर्ग के अनेक सामाजिक संगठन अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मप्र में 2018 में बनी कमलनाथ की सरकार ने 27 प्रतिशत आरक्षण देने का काम किया। वहीं भोपाल की पूर्व महापौर का कहना है कि सीएम शिवराज सिंह चाैहान पिछड़ों के लिए झूठे भाषण देने का काम करते हैं।