Monday, September 29

जिला अस्पताल में सूचना का अधिकार नहीं लागू होता:कोरोना काल में दान में मिले सामग्रीयों का ब्यौरा देने पर आना-कानी कर रहा है विभाग

सूचना के अधिकार कानून को बेअसर साबित कर रहा विदिशा का चिकित्सा विभाग। इसका ताजा मामला विदिशा के जिला अस्पताल में देखने को मिला। कोरोना काल के दौरान अस्पताल को कितनी सामग्रीयां दान में मिली थी और कितना आय खर्च हुआ इसकी जानकारी देने में विभाग आना-कानी कर रहा है।

इस कानून को शासकीय कार्य में पारदर्शिता और गुणवत्ता लाने के लिए सरकार ने बनाया था पर सरकारी मुलाजिम ही इसकी खुलेआम धज्जीयां उड़ा रहे हैं। सरकारी काम-काज में बारती जा रही लापरवाही, अनियमितताओं और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए इस कानून को बनाया गया था।

दस्तावेज के लिए आवेदक से मांगे रुपए

सूचना का अधिकार कानून के अंतर्गत मांगी गई जानकारी को पहले स्व. माधवराव सिंधिया जिला चिकित्सालय विदिशा ने जानकारी 50 पृष्ठ की बताकर आवेदक से 100 की राशि जमा करने को कहा गया। इस बाबत सिविल सर्जन संजय खरे 10 दिसम्बर 2021 को आवेदक को एक पत्र जारी किया गया उक्त पत्र में आवेदक महेन्द्र जैन ने 10 रुपए पोस्ट आर्डर मांगी गई जानकारी की फीस के रूप में सूचना अधिकारी सिविल सर्जन विदिशा को प्रेषित किये जिसके जवाब में 17 जनवरी 2022 को सिविल सर्जन द्वारा पत्र जारी कर यह सूचना फीस स्वीकार करने से इंकार कर दिया बताया गया कि उक्त पत्र में आवेदक से कहा गया है कि वह स्वंय उपस्थित होकर 2 रुपए प्रति पेज की नगद राशि जमा करें।

बताया गया कि सूचना अधिकार कानून में फीस जमा करने हेतू नगद, स्टांप पेपर और पोस्ट आर्डर द्वारा फीस जमा करने का प्रवधान है लेकिन सिविल सर्जन द्वारा जानकारी देने से बचने के लिए और आवेदक को परेशान करने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इससे पूर्व अन्य एक आवेदक हिम्मत सिंह अहिरवार को सूचना का अधिकार कानून के तहत जानकारी बाबत सिविल सर्जन द्वारा कार्यालय में बुलाया गया जहां आवेदक को घंटो इंतजार कराने के बाद भी नहीं मिलते। आवदेक का कहना था कि साहब सीट पर बैठे थे लेकिन जानकारी नही दी गई।

आवदेक द्वारा मांगी गई जानकारी कोरोना काल में चिकित्सालय में आय व्यय एवं प्राप्त दान सामग्री से संबंधित है। जिसमें जमकर भ्रष्टाचार होने की अंदरखाने की खबर बताते हैं। जिला चिकित्सालय में सूचना का अधिकार कानून में प्रथम अपीलीय अधिकारी एंव आयोग के संबंध में कोई जानकारी नहीं दर्शाई गई है। आश्चर्य है कि शहर के इतने बड़े अस्पताल में पारदर्शिता कानून को रौंदने का कार्य सिविल सर्जन द्वारा किया जा रहा है।