बेशक कोविड-19 की दूसरी लहर राजधानी के लिए एक बड़ी त्रासदी साबित हुई। बड़े पैमाने पर लोग कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट की चपेट में आए। अस्पताल और श्मशान दोनों में लोगों को जगह नहीं मिली। हालांकि आर्थिक मोर्चे पर इसका असर बेहद कम देखने को मिला।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि पहली लहर के बाद राजधानी में लोगों की बैंकों में जमा राशि 550 करोड़ घटी थी, लेकिन दूसरी में स्थिति बिलकुल उलट रही। बैंकों में इस लहर के बाद जमा राशि 5880 करोड़ रुपए बढ़ गई। पिछले वर्ष अप्रैल, मई और जून में बैंकों की कुल जमा राशि 92,860 करोड़ रुपए थी, जो इसके बाद जुलाई, अगस्त और सितंबर की तिमाही में बढ़कर 98,735 करोड़ हो गई।
यह बढ़ोतरी तिमाही दर तिमाही के आधार पर 6.33% की रही। इसकी तुलना में मप्र में अन्य शहर इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में यह बढ़ोतरी बेहद कम रही। बैंकिंग मामलों के जानकार एमके जैन कहते हैं, दूसरी लहर एक अभूतपूर्व मानवीय त्रासद जरूर थी, लेकिन इसके बीच आर्थिक गतिविधियां जारी रहीं। फैक्ट्रियों में उत्पादन हो रहा था। माल ढुलाई में भी बदस्तूर जारी रहा।
नतीजतन- आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला। पहली लहर में पूरा शहर बिलकुल जाम हो गया था। उल्लेखनीय है कि पहली लहर का प्रभाव मार्च से जून तक सबसे अधिक रहा। इसी तरह दूसरी लहर भी मार्च से लेकर जून तक तबाही मचाती रही।