कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार श्रीरामलीला में कई बदलाव हुए हैं। 14 जनवरी से शुरू हुई श्रीरामलीला में पहले दिन ही कई परिवर्तन हुए हैं। रामलीला की शुरुआत शिव बारात से होती है। इस बार शहर में शिव बारात नहीं निकाली गई। पहले शिव बारात माधवगंज शिवालय से भगवान शिव की बारात शुरू होती थी और मुख्य बाजार से होते हुए श्रीरामलीला परिसर पहुंचती थी। माधवगंज से रामलीला तक पहुंचने में बारात को करीब 7 घंटे का समय लगता था। यह सिलसिला साल 1987 से चल रहा था लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। इस बार शिव बारात शहर के बजाय सिर्फ रामलीला मैदान में ही परिक्रमा लगाकर परंपरा का निर्वाह किया गया।
पहला दिन: प्रसंग जस के तस, लेकिन नहीं हो रहे मैदान में फेरे
तीन दिन की लीलाएं इस बार एक दिन में करने का दबाव मेला समिति पर है। पहले रामलीला 27 दिन तक चलती थी लेकिन इस बार 20 दिन में पूरी होगी। इसलिए 2 से 3 दिन की लीलाएं भी एक दिन में हो रही हैं। पहले एक दिन में करीब 3 घंटे तक रामलीला होती थी। इस बार बदलाव करते हुए एक घंटा समय अवधि बढ़ाई गई है। इस तरह तीन दिन में 9 घंटे तक चलने वाली लीलाओं को एक दिन के 4 घंटे में समेटा गया है। डॉ सुधांशु मिश्र बताते हैं कि रामलीला में संवाद और प्रसंग जस के तस हैं। कम समय में ज्यादा लीलाएं करने के लिए बीच के समय का उपयोग किया गया है। पहले मैदान में जब भगवान आते थे तब बैंड-बाजे के साथ 6 से 7 फेरे लगते थे। एक फेरे में 7 से 9 मिनट लगते थे। इस बार फेरे नहीं लगाए जा रहे हैं। इससे समय की काफी बचत हो रही है। अब भगवान मैदान में सीधे जाते हैं और अपनी लीला में भाग लेते हैं। साथ ही संवाद भी करते हैं।
31 साल से पं.शिवराम शर्मा निभा रहे शिव की भूमिका
शिव बारात में कई दैत्य और भूत-प्रेत आदि भी शामिल थे जो आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। विदिशा के पं.शिवराम शर्मा पिछले 31 साल से शिव बारात में भगवान शिव की भूमिका निभाते चले आ रहे हैं। वे दूल्हा के रूप में सज-धजकर रथ में आरुढ़ थे।
रोशनी से सजा मैदान दर्शकों की एंट्री नहीं
बढ़ते संक्रमण के कारण इस बार की रामलीला में दर्शकांे को आने की मनाही है। लेकिन परंपरा के अनुसार रामलीला परिसर हर बार की तरह रोशनी से सजा हुआ है। सिर्फ कलाकारों को भी प्रवेश मिलेगा। भास्कर की अपील है कि कोविड-प्रोटोकॉल का पालन जरूर करें। रामलीला सोशल मीडिया पर देख सकेंगे दर्शक।
आज रावण जन्म और इंद्र-मेघनाद युद्ध का मंचन: 15 जनवरी को रावण जन्म की लीला और इंद्र-मेघनाद युद्ध का मंचन किया जाएगा।