Wednesday, September 24

MP में मार्च तक परिसीमन, अप्रैल से चुनाव!:तीन महीने में सुलझ सकता है OBC आरक्षण का मामला; 17 जनवरी अहम तारीख

मध्यप्रदेश में अप्रैल-मई में पंचायत चुनाव हो सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने परिसीमन और वोटर लिस्ट बनाने की टाइम लाइन जारी कर दी है। परिसीमन के लिए 45 दिन का समय दिया गया है। इसी दौरान उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में OBC आरक्षण का मामला सुलझ सकता है। इसके सुलझते ही पंचायत चुनाव का बिगुल बज सकता है।

ओबीसी आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से हाल ही में पंचायत चुनाव निरस्त कर दिए गए थे। जिसके बाद एक बार फिर राज्य निर्वाचन आयोग ने परिसीमन की प्रक्रिया पूरी करने टाइम लाइन जारी की है। अब वोटर लिस्ट बनने, परिसीमन होने के साथ अधिसूचना जारी होने तक करीब तीन महीने का समय लगेगा। सब कुछ ठीक रहा तो अप्रैल-मई माह तक पंचायत चुनाव कराने का बिगुल एक बार फिर बज सकता है।

यह दो मामले प्रमुख

17 से 28 फरवरी तक होने वाली परिसीमन की कार्रवाई बिना किसी विवाद के खत्म हो जाती है व आरक्षण का मामला सुलझ जाता है, तो इसके बाद चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए मुश्किल से 15 दिन का समय लगेगा। इसके बाद अधिसूचना जारी की जा सकती है। आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 17 जनवरी होनी है।

सरकार जल्द चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध : मंत्री

पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का कहना है परिसीमन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सरकार ने तय किया है कि ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव नहीं कराएंगे। इस हिसाब से लगता है कि चुनाव जल्द से जल्द करा लेंगे, लेकिन अब यह भी देखना होगा कि कोरोना संक्रमण की स्थिति क्या रहती है। सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि तय समय सीमा में चुनाव कराए। हमारा कहना था कि परिसीमन दोबारा हो, तो उसे दोबारा किया जा रहा है और ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत हो। इसके बाद चुनाव शुरू हो जाएंगे।

कांग्रेस सरकार का परिसीमन ज्यूडिशरी अप्रूव्ड है: तन्खा

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सीनियर एडवाेकेट विवेक तन्खा कहते हैं- एक बार परिसीमन विधिवत रूप से कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2019 में किया। रोटेशन की कार्रवाई भी की गई। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में 250 से अधिक याचिकाएं लगीं थीं। सभी याचिकाएं डिसमिस हो गईं। एक तरह से ज्यूडिशरी अप्रूव्ड परिसीमन हो चुका है। इसी को अडाॅप्ट कर लेते तो चुनाव कुछ दिन में ही शुरू कर सकते थे। अब नया परिसीमन सही मायने से परिसीमन होगा तो अलग बात है, लेकिन राजनीतिक परिसीमन कर रहे हैं तो 200 से 300 याचिकाएं कोर्ट में फिर आएंगी।

तन्खा ने कहा कि बीजेपी की मंशा पंचायत चुनाव कराने की है ही नहीं है। बीजेपी की मंशा होती तो यह नाटक नहीं करती। ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार ने समय बर्बाद किया है। सीधे सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखना चाहिए था।