कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्यों में ओमिक्रॉन के केस भी मिल चुके हैं। ऐसे में माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश (MP बोर्ड) की 10वीं और 12वीं बोर्ड के फरवरी में होने वाले एग्जाम के टलने की भी आशंका बढ़ने लगी है। बोर्ड का पूरा प्रयास ऑफलाइन परीक्षा कराने पर है, लेकिन एग्जाम के न होने की स्थिति में एक और प्लान तैयार कर लिया गया है। परीक्षा नहीं होने की स्थिति में इस बार फॉर्मूला रिजल्ट की जगह आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाएगा।
सचिव उमेश कुमार ने बताया कि साल की शुरुआत में ही MP बोर्ड के सरकारी और प्राइवेट स्कूल में आंतरिक मूल्यांकन की पूरी व्यवस्था करने के निर्देश दे दिए गए थे। हालांकि, हमारा प्रयास ऑफलाइन परीक्षा लिए जाने पर है, लेकिन अगर ऐसी स्थिति बनती है, जिससे परीक्षा नहीं होने की स्थिति बनती है तो तिमाही, अर्द्धवार्षिक और साल भर के मूल्यांकन के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाएगा।
पहले की गलती से सबक लिया
दो साल से परीक्षा नहीं होने के कारण बच्चों को पास किया गया। ऐसे में पिछले साल फॉर्मूला रिजल्ट के आधार पर बनाया गया था। MP बोर्ड को यह निर्णय MP बोर्ड के प्राइवेट स्कूलों के कारण लेना पड़ा था। कोरोना के हवाला देते हुए प्राइवेट स्कूल ने किसी भी आंतरिक मूल्यांकन किए जाने का विरोध किया था। असल में प्राइवेट स्कूल्स ने न तो तिमाही और न ही अर्द्धवार्षिक परीक्षा कराई थीं। ऐसे में उनके पास बच्चों का मूल्यांकन करने का कोई आधार नहीं था। इसी कारण बोर्ड ने 9वीं और 11वीं के अंकों के आधार पर फॉर्मूला रिजल्ट बनाया था। इस बार बोर्ड ने जुलाई में सभी को आंतरिक मूल्यांकन अनिवार्य कर दिया था।
पहली बार फरवरी में परीक्षा
कोरोना के कारण MP बोर्ड की बीते दो साल से 10वीं और 12वीं की परीक्षा नहीं हो पा रही है। इसके चलते इस बार दोनों क्लास की परीक्षा समय से पहले कराने का निर्णय लिया गया। अब तक परीक्षाएं 1 मार्च से शुरू होती थीं, लेकिन इस बार से यह फरवरी में शुरू हो जाएंगी।
इस तरह होंगी परीक्षा
- 10वीं और 12वीं क्लास की परीक्षा 12 फरवरी से शुरू होकर 20 मार्च तक चलेंगी।
- इसके साथ ही 12 फरवरी से 31 मार्च तक प्रायोगिक परीक्षा ली जाएंगी।
सत्र 2020-21 के सभी बच्चे पास
बीते साल स्कूल शिक्षा विभाग ने फॉर्मूला के आधार पर रिजल्ट तैयार किया था। स्कूल शिक्षा मंत्री के निर्देश पर सभी छात्रों को पास कर दिया गया था। रिजल्ट से नाखुश छात्रों को विशेष परीक्षा में शामिल होने का विकल्प दिया गया। प्रदेश से करीब 15 हजार छात्रों ने विशेष परीक्षा दी थी। पहले शर्त रखी गई थी कि विशेष परीक्षा देने वाले छात्रों का रिजल्ट इसी परीक्षा के रिजल्ट में माना जाएगा। बाद में मंडल ने अपने इस निर्णय को बदलते हुए दोनों परीक्षाओं में से बेहतर रिजल्ट को मान्य करने का निर्णय लिया।
40% ऑब्जेक्टिव प्रश्न
10वीं और 12वीं के प्रश्न-पत्र में ऑब्जेक्टिव प्रश्न 40% कर दिए गए हैं। यह पैटर्न सत्र 2021-22 से यानी इसी सत्र से लागू किया गया। अब तक 10वीं-12वीं परीक्षा में 25% अंकों के ऑब्जेक्टिव प्रश्न पूछे जाते थे। लोक शिक्षण ने 24 सितंबर से आयोजित की जाने वाली तिमाही परीक्षा से इसे लागू भी कर दिया।