देश में सेमीकंडक्टर चिप की कमी दूर करने के लिए सरकार ने 76 हजार करोड़ रुपए की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दे दी। इसके तहत अगले 6 साल में देश में सेमीकंडक्टर चिप के लिए इकोसिस्टम तैयार किया जाएगा। इसमें सेमीकंडक्टर डिजाइन, कॉम्पोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग और डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट्स एस्टेब्लिश की जाएंगी।
समझते हैं, पूरी स्कीम क्या है? क्यों देश में ही सेमीकंडक्टर का प्रोडक्शन जरूरी है? इसकी कमी से किस तरह दुनियाभर का इलेक्ट्रॉनिक मार्केट प्रभावित हुआ है? सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल किन-किन प्रोडक्ट में होता है? भारत के लिए ये स्कीम कितनी जरूरी है? और आखिर सेमीकंडक्टर होता क्या है?
पहले समझते हैं, पूरी स्कीम क्या है?
- स्कीम के तहत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट कंपनियों को 50% तक आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही लंबे समय की रणनीति तैयार करने के लिये इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन भी तैयार किया जाएगा।
- सरकार का लक्ष्य डिस्प्ले के लिए 1 से 2 फैब यूनिट स्थापित करने का है। डिजाइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग कॉम्पोनेंट्स के लिए 10-10 यूनिट लगाने का प्लान है।
- अगले 2-4 साल में 2 डिस्प्ले फैब्रिकेशन फैक्ट्री और 2 सेमीकंडक्टर फैक्ट्री की स्थापना की जाएगी। सरकार की इन पर करीब 30 से 50 हजार करोड़ रुपए निवेश करने की योजना है।
- इस योजना के तहत अगले 5 से 6 सालों में देश में 100 से ज्यादा सेमीकंडक्टर डिजाइन, कॉम्पोनेंट मैन्युफैक्चरिंग और डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट्स की स्थापना की जाएगी।
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देश में ही सेमीकंडक्टर का प्रोडक्शन क्यों जरूरी है?
- फिलहाल देश में प्रोडक्शन न होने की वजह से हम सेमीकंडक्टर मटेरियल का इम्पोर्ट करते हैं। अभी करीब 1.76 लाख करोड़ रुपए का इम्पोर्ट भारत करता है। अनुमान है कि 2025 तक ये इम्पोर्ट बढ़कर 7.5 लाख करोड़ रुपए डॉलर के करीब हो सकता है। अगर देश में ही सेमीकंडक्टर चिप्स का प्रोडक्शन होगा तो हमें इम्पोर्ट पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
- स्कीम से नौकरी के लाखों मौके पैदा होंगे। अनुमान के मुताबिक, सेमीकंडक्टर को डिजाइन करने के लिए करीब 85 हजार टेलेंटेड इंजीनियर्स की जरूरत पड़ेगी। इनके अलावा तमाम छोटी-बड़े पदों के लिए भी नौकरियां पैदा होंगी।
- स्कीम के तहत इंसेंटिव मिलने से जो कंपनियां दक्षिण कोरिया, चीन और ताइवान में अपने प्लांट्स सेटअप कर रही हैं, वो भारत का रुख करेगी।
- IT सर्विसेज की कंपनी बॉडी नैसकॉम ने कहा है कि इस स्कीम से अगले 6 साल में इलेक्ट्रॉनिक्स की फील्ड में एक नए युग की नींव रखेगा। इससे सरकार के आत्मनिर्भर भारत के साथ ही रोजगार और इनोवेशन को भी बढ़ावा देगा।
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स्कीम से आपको क्या फायदा?
फिलहाल सेमीकंडक्टर की कमी के चलते इंडस्ट्री को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है। इस वजह से इलेक्ट्रॉनिक से लेकर ऑटोमोबाइल तक महंगे हुए हैं। अगर इन्हें देश में ही बनाया जाएगा, तो सामान सस्ते हो सकते हैं। आइटम के सस्ते होने के सीधा-सीधा संबंध सेमीकंडक्टर के इम्पोर्ट से भी है। देश में ही प्रोडक्शन होगा तो हमें इम्पोर्ट नहीं करना होगा और चीजें सस्ती होंगी।
देश में इलेक्ट्रॉनिक इकोसिस्टम बनने से रोजगार बढ़ेगा। इंजीनियर्स से लेकर मैनेजमेंट तक की पोस्ट पर नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।
आखिर ये सेमीकंडक्टर चिप होती क्या है?
सेमीकंडक्टर को आप इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का दिमाग समझिए। कंप्यूटर, लैपटॉप, कार, वॉशिंग मशीन, ATM, अस्पतालों की मशीन से लेकर हाथ में मौजूद स्मार्टफोन तक सेमीकंडक्टर चिप पर ही काम करते हैं। ये चिप एक दिमाग की तरह इन गैजेट्स को ऑपरेट करने में मदद करती है। इनके बिना हर एक इलेक्ट्रॉनिक आइटम अधूरा है। सेमीकंडक्टर चिप्स सिलिकॉन से बने होते हैं और सर्किट में इलेक्ट्रिसिटी कंट्रोल करने के काम आते हैं।
ये चिप इलेक्ट्रॉनिक आइटम को ऑटोमैटिकली ऑपरेट करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, स्मार्ट वॉशिंग मशीन में कपड़े पूरी तरह धुलने के बाद ऑटोमैटिक मशीन बंद हो जाती है। इसी तरह कार में जब आप सीट बेल्ट लगाना भूल जाते हैं, तो कार आपको अलर्ट देती है। ये सेमीकंडक्टर की मदद से ही होता है।
सेमीकंडक्टर चिप्स की कमी क्यों आई?
दुनियाभर में सेमीकंडक्टर चिप्स की शॉर्टेज कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के बाद ही शुरू हो गई थी। दरअसल, लॉकडाउन की वजह से प्रोडक्ट्स की डिमांड कम थी, इस वजह से चिप्स का प्रोडक्शन भी कम हुआ। जैसे ही लॉकडाउन खुला तो इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की डिमांड बढ़ने लगी। अचानक बढ़ी मांग से डिमांड और सप्लाय का अंतर बढ़ गया जिसका नतीजा चिप शॉर्टेज के रूप में सामने आया। आशंका है कि 2022 तक चिप शॉर्टेज बनी रह सकती है।
पहले भी हो चुकी है इस तरह की कोशिश
देश में पहले भी इस तरह के प्लांट लगाने की कोशिशें हुई हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म विजन नहीं होने के कारण ये सभी फेल रहे। इसकी वजह खराब प्लानिंग और सरकार की पहल की कमी रही है।
पिछले साल अमेरिकी चिप मेकर कंपनी माइक्रॉन टेक्नोलॉजी ने ऐलान किया था वो भारत में अपना एक्सिलेंस सेंटर और स्टोरेज सिस्टम बनाएगी। माइक्रॉन एपल को सेमीकंडक्टर सप्लाई करने वाली मेजर कंपनी है। फिलहाल चंडीगढ़ में ISRO की और बेंगलुरु में DRDO की चिप फैक्ट्री है। कुछ वक्त पहले टाटा ग्रुप ने भी सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में उतरने का ऐलान किया है।