मांग की तुलना में 40 फीसदी कम आया, रायसेन जिले से महंगे दामों में खरीद रहे
जिले में यूरिया का स्टॉक खत्म हो चुका है। किसानों को यूरिया का बेसब्री से इंतजार है। सहकारी समितियों से लेकर शहर के दोनों डबल लॉक वितरण केन्द्रों पर भी यूरिया स्टॉक में नहीं है। इससे किसानों को खाद का वितरण नहीं हो पा रहा है। किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिलने से गेहूं के पौधे कमजोर हो रहे हैं। पत्ते भी पीले पड़ने लगे हैं। उत्पादन भी प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। यूरिया का स्टाक खत्म होने से किसानों को पड़ोसी जिले रायसेन से महंगे दामों में यूरिया लाना पड़ रहा है। जिले में 55 हजार मीट्रिक टन यूरिया की डिमांड है लेकिन अब तक 31782 हजार मीट्रिक टन यूरिया ही आया है। इसलिए किसान परेशान हैं। जिले में अब तक करीब 90 फीसदी क्षेत्र में बोवनी हो चुकी है।
अब तक 90 प्रतिशत हुई है रबी फसलों की बोवनी
विदिशा के आसपास हलाली और संजय सागर बांध से निकली नहरों के टेल एरिया में अभी तक पानी नहीं पहुंचा है। इससे रबी फसलों की बोवनी अभी 90 प्रतिशत तक ही हुई है। इस संबंध में कृषि विभाग के सहायक संचालक एनपी प्रजापति ने बताया कि जिले में रबी का कुल रकबा 5 लाख 35 हजार 580 हेक्टेयर है। इसमें 3 लाख 2 हजार हेक्टेयर में गेहूं, 1 लाख 6 हजार हेक्टेयर में चना, 85 हजार हेक्टेयर में मसूर, 2200 हेक्टेयर में मटर और 2050 हेक्टेयर में सरसों की बोवनी की गई है। अभी तक 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी का काम बचा हुआ है।
7 से 23 अगस्त के बीच नहीं की खाद की एडवांस बुकिंग
खाद का संकट इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि एक तो 60 फीसदी डीएपी विदेशों से मंगाई जाती है और दूसरे 7 जुलाई से लेकर 23 अगस्त के बीच में जब खाद की एडवांस बुकिंग करनी थी, तब नहीं की गई। उस समय विदिशा के रेक पाइंट को सौराई स्टेशन में शिफ्ट किया जा रहा था। इस कारण खाद की एडवांस बुकिंग नहीं हो सकी। इस कारण किसान एक-एक दाना खाद के लिए भटक रहे हैं।
विदिशा जिले की मिट्टी में पोटाश की कमी
इस संबंध में डीडीए पीके चौकसे ने बताया कि विदिशा जिले के तमाम किसानों ने मृदा परीक्षण करवाया है। इसमें जो रिपोर्ट आई है, उसके मुताबिक विदिशा जिले के अधिकांश क्षेत्रों में मिट्टी में पोटास की मात्रा कम पाई गई है। इससे पैदावार कम होती है। दाने की चमक चली जाती है। यहां के किसानों को बोवनी के समय डीएपी के बजाय 12:32:16 के अनुपात वाली एनपीके खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। डीएपी में केवल फास्फोरस और नाइट्रोजन की मात्रा पाई जाती है। इसमें पोटास की मात्रा नहीं होती है।
किसान गांव सलामतपुर से लाए 10 बोरी यूरिया
टीलाखेड़ी के किसान विनोद कुशवाह बताते हैं कि उन्हें 10 बोरी यूरिया की जरूरत थी। विदिशा में नहीं मिलने पर रायसेन जिले के सलामतपुर से महंगे दामों में यूरिया लेकर आए हैं। इसी प्रकार 25 बीघे के किसान बलवीर यादव ने बताया कि वे भी 30 बोरी खाद सलामतपुर से लेकर आए हैं।
55000 के मुकाबले मिला 31782 टन यूरिया
गेहूं की फसल के लिए यूरिया की कमी चल रही है। विदिशा जिले में इस सीजन में अब तक कुल 31782 टन यूरिया आवंटित हुई है। पूरी खाद बंट चुकी है। जबकि यहां 55000 टन की डिमांड है। इसमें से 30 फीसदी खाद प्राइवेट और 70 फीसदी खाद सोसायटियों के जरिए वितरित की गई।
2 दिन बाद लगेगी 2600 टन यूरिया की रैक
- आईपीएल कंपनी की एक 2600 टन यूरिया की एक रैक 2 दिन बार विदिशा के सौराई रेलवे स्टेशन पर लगने वाली है। इसमें से 70 फीसदी खाद कोआपरेटिव सेक्टर को और 30 फीसदी खाद प्राइवेट सेक्टर को दिया जाएगा। जरूरत के मुताबिक खाद की रेक आती जा रही है। किसानों को कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।- – एनपी प्रजापति, सहायक संचालक, कृषि विभाग
- यूरिया के लिए किसान परेशान ना हों। यूरिया के बदले खेतों में यूरिया का लिक्विड स्प्रे का छिड़काव भी किया जा सकता है। इससे फसलों को फायदा होगा। – डॉ.एसएस तोमर, वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय सीहोर
वैज्ञानिक की सलाह, गेहूं में करें यूरिया का स्प्रे
कमजोर हो रहा तना
ग्राम अहमदपुर के उन्नतशील किसान मोहरसिंह रघुवंशी का कहना है कि उन्होंने 50 बोरी यूरिया की जरूरत है। गेहूं में यूरिया नहीं डालने से पत्ते पीले पड़ रहे हैं और तना कमजोर हो रहा है। ऐसे में उत्पादन भी कमजोर हो जाएगा।