CAP (राजधानी परियोजना प्रशासन) के कामकाज का बंटवारा हो गया है। भोपाल में 132 एकड़ में फैले एकांत, प्रियदर्शनी, चिनार, मयूर, प्रकाश तरण पुष्कर समेत 7 बड़े पार्कों की देखरेख का जिम्मा नगर निगम की बजाय वन विभाग को सौंपा जाएगा। वहीं, सड़कें PWD के हवाले होंगी। इंजीनियर-कर्मचारी, पुल और बिल्डिंगों को लेकर भी खाका तैयार है। केबिनेट की मीटिंग में प्रस्ताव रखेंगे और फिर इसे मंजूरी मिलते ही CPA इतिहास बन जाएगा।
सीनियर सेक्रेटरी की मीटिंग में कई निर्णय लिए गए। अब इस मामले को अंतिम मंजूरी के लिए आगामी कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव लाया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद सीपीए बंद हो जाएगा। मंत्रालय में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में हुई सीनियर सेक्रेटरी की मीटिंग में सीपीए के पार्कों के रखरखाव के मामले पर लंबी चर्चा चली।
यह बात सामने आई कि उद्यानों को नगरीय विकास विभाग के अंतर्गत नगर निगम को सौंप दिया जाए, लेकिन इस पर सीनियर सेक्रेटरी का कहना था कि नगर निगम के बजाए इस काम को वन विभाग को सौंपा जाए। इस दौरान यह सहमति भी बनी कि वन विभाग के अंतर्गत नोडल एजेंसी गठित कर काम उसे यह काम दे दिया जाए।
CM ने की थी बंद करने की घोषणा
सीपीए को बंद करने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 27 अगस्त को की थी। उस दौरान मुख्यमंत्री ने राजधानी की खस्ताहाल सड़कों को लेकर नाराजगी जताई थी।
अभी CPA में इतना स्टाफ
एक अधीक्षण यंत्री, चार एग्ज्युक्टिव इंजीनियर, 20 एसडीओ, 50 सब इंजीनियर व 250 कर्मचारियों समेत 325 लोगों का स्टाफ है, जो अन्य विभागों से प्रतिनियुक्ति पर यहां आए हैं। इसके अलावा अस्थायी कर्मचारी भी हैं, जो पार्क समेत अन्य जगह लगाए गए हैं। सीपीए की 500 करोड़ की देनदारी है, जबकि बजट महज 300 करोड़ रुपए है। दो साल से कामों के भुगतान नहीं हुए हैं।
ये है CPA का काम
शहर को व्यवस्थित तरीके से डेवलप करने के लिए साल 1960 में आवास एवं पर्यावरण विभाग के अंतर्गत CPA का गठन किया गया था। इसका काम भोपाल शहर की सड़कों को बनाना और उनका मेंटेनेंस करना था। इसके अलावा, उसके जिम्मे पर उद्यान, बिल्डिंग निर्माण, पुल-पुलियाएं बनाने आदि के काम भी आ गए। इस विभाग की नए शहर को खूबसूरती देने में बड़ी भूमिका रही है। नए मंत्रालय एनेक्सी बनाने से लेकर VIP रोड जैसे कई बड़े काम उसने ही किए हैं।
भारत भवन, शौर्य स्मारक, ट्राइबल म्यूजियम, मानव संग्रहालय, टीटी नगर स्टेडियम, सतपुड़ा, विध्यांचल आदि इमारतें भी CPA ने बनाई है। वहीं 92.5 किमी सड़कें हैं।
अब अफसर ऑफिस में नहीं मिलते
CPA के वरिष्ठ अफसर अब ऑफिस से भी गायब हो रहे हैं। कई ने तो मनपसंद पोस्ट के लिए नए विभागों में जुगाड़ भी लगा दी है। अधिकांश अधिकारी-कर्मचारी डेपुटेशन पर CPA में जमे हैं।