Wednesday, September 24

8 तहसील के 880 गांवों में 60 हजार 185 प्लॉट की इंट्री दर्ज; कम होंगे जमीनों के विवाद, सर्टिफिकेट से लोन लेने की सुविधा मिलेगी

गंजबासौदा में सबसे ज्यादा 135 गांवों में हुआ सर्वे, 132 गांवों के साथ दूसरे स्थान पर कुरवाई​​​​​​​

केन्द्र की स्वामित्व योजना के तहत अब ग्रामीणों को जहां वे रह रहे हैं। उस स्थान का मालिकाना हक दिया जाएगा। इसके लिए जिले की 8 तहसील के 880 गांवों में ड्रोन सर्वे हो चुका है। डोन सर्वे के बाद पटवारियों द्वारा आबादी क्षेत्र के प्लॉट की एंट्री की जा रही है। अब तक 60 हजार 185 प्लॉट की एंट्री सारा एप के माध्यम से हो चुकी है। जिन पर ग्रामीणों को मालिकाना हक दिया जाना है।

जिले में अब तक सबसे ज्यादा गंजबासौदा क्षेत्र के 135 गांवों में ड्रोन सर्वे हुआ है। वहीं दूसरे स्थान पर 132 गांव के साथ कुरवाई तहसील है। सर्वे सिर्फ गांव की आबादी भूमि में किया जा रहा है। जिसके डाटाबेस से पंचायत स्तर पर संपत्ति रजिस्टर भी तैयार किए जाएंगे। जिले में 12 तहसील हैं, इनमें से 8 में काफी हद तक सर्वे हो चुका है।

विदिशा ग्रामीण एवं लटेरी में ड्रोन सर्वे का काम चल रहा है और सिरोंज ओर विदिशा नगर तहसील में सर्वे होना है। आबादी क्षेत्र में जिस स्थान पर ग्रामीण रह रहे हैं। उन्हें उसी स्थान का स्वामित्व प्रमाण-पत्र दिया जा रहा है। इससे उन्हें मकान-प्लॉट पर बैंक से लोन लेना आसान हो जाएगा।

संपत्तियों के पारिवारिक हिस्सा-बांट, हस्तांतरण, नामांतरण, बंटवारे की प्रक्रिया आसान होगी और इससे संपत्ति को लेकर होने वाले पारिवारिक विवाद भी कम होंगे। रिकॉर्ड बन जाने से ग्राम पंचायतों को सम्पत्ति कर मिलने लगेगा, जो गांव के विकास में खर्च किया जाएगा।

जिले की 12 तहसीलों के 1511 गांवों में 80 हजार 16 प्लॉट की होना है इंट्री

ड्रोन सर्वे से होने वाले फायदे

  • कम होंगे जमीनों के विवाद, सर्टिफिकेट से मिलेगा लोन
  • स्वामित्व योजना से सम्पत्ति मालिक को सम्पत्ति का प्रमाण पत्र एवं भू-स्वामित्व प्राप्त होगा।
  • ड्रोन सर्वे से रिकार्ड बनाने में शुद्धता आएगी।
  • सर्टिफिकेट से बैंक लोन लेना आसान हो जाएगा।
  • सम्पत्ति की खरीदी एवं बिक्री का हस्तांतरण आसानी से हो सकेगा।
  • सर्वेक्षण के पूर्व चूना मार्किंग होने से निर्मित अभिलेख से सम्पत्ति विवाद कम होंगे।
  • ग्रापं की सम्पत्ति शासकीय और सार्वजनिक सम्पत्ति की सीमा एवं क्षेत्रफल सुनिश्चित होने से उसका रखरखाव अच्छे से हो सकेगा।
  • भू-अभिलेख में एसएलआर राजेश राम ने बताया कि गांवों में लोग पूर्वजों के जमाने से घर बनाकर रह रहे हैं। जहां वह रह रहे हैं उस जमीन से जुड़ा बहुत से ग्रामीणों के पास कोई दस्तावेज नहीं है। एक ही खसरा नंबर पर हजारों लोग बसे हैं। किसकी कितनी जमीन है? यह रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। गांव की ऐसी ही जमीन को आबादी क्षेत्र कहते हैं। जहां अब स्वामित्व योजना के तहत मालिकाना हक दिया जा रहा है।