
भोपाल में एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो किराए पर लग्जरी कार लेकर उन्हें गिरवी रख देता है। निशातपुरा पुलिस के पास इस तरह की अब तक 10 शिकायतें पहुंच चुकी हैं। इनमें पुलिस ने 4 मामलों पर एफआईआर की है। पुलिस गिरोह की तलाश में छापेमारी कर रही है।
जानकारी के मुताबिक, राजपाल सिहं राजपूत अपने साथी विनोद मीणा के साथ मिलकर ट्रेवल्स का आफिस निशातपुरा इलाके में खोल रखा है। वह अच्छी कंडीशन वाली गाड़ी के मालिक को ज्यादा पैसों का लालच देकर गाड़ी किराए पर लेते हैं। इसके बाद आरोपी कुछ महीनों तक गाड़ी मालिक को किराया भी चुकाते हैं। जिससे किसी को शक ना हो। इसी बीच गाड़ी के फर्जी कागज बनाकर वह गाड़ी को दूसरे शहरों में गिरवी रख देते हैं। जब गाड़ी मालिक इनसे किराया मांगता है तो वह आनाकानी करते हैं।
पुलिस को शुरू में लगा आपसी मामला होगा
पुलिस के पास शुरुआत में जब शिकायत पहुंची तो लगा कि यह आपसी विवाद का मामला होगा। जब कई लोग पहुंचे तो पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया। जांच में हेराफेरी का खुलासा हुआ। इसके बाद पुलिस ने चार लोगों की शिकायत पर एफआईआर कर मामले को जांच में लिया।
दबाव बनाने पर कार छोड़कर गए
गाड़ी मालिक जब किराया नहीं मिलने पर गैंग के सरगना राजपूत को फोन लगाकर दबाव बनाया तो वे कई लोगों की गाड़ी वापस दे दी। वह वाट्सएप कालिंग कर गाड़ी मालिक को बताता था कि वाहन इस जगह खड़ा है। आप अपनी गाड़ी ले जाइए।
रायसेन में पुलिस की दबिश
निशातपुरा पुलिस ने गिरोह को पकड़ने के लिए दो टीमें बनाई हैं। एक टीम रायसेन जिले के बेगमगंज, उमरावगंज समेत आसपास के ठिकानों पर दबिश दे रही है। जबकि दूसरी टीम गंजबासौदा कुरवाई में आरोपियों की तलाश कर रही है। निशातपुरा टीआई महेन्द्र सिंह ने बताया कि जल्द ही गिरोह को पकड़ लिया जाएगा।
एग्रीमेंट की वजह से नहीं हुई अधिकतर एफआईआर
पुलिस के पास 10 आवेदन आए हैं। गैंग कार किराए पर लेने के लिए सालभर का एग्रीमेंट करती है। गाड़ी मिलने के बाद एक-दो माह गाड़ी मालिक को किराया देते हैं। इसके बाद बंद कर देते हैं। पीड़ित जब शिकायत करने पहुंचता है तो वह यही बताता है कि गैंग से उसके साथ सालभर का एग्रीमेंट हुआ है। ऐसे में पुलिस यह मानती है कि सामने वाली पार्टी ने एग्रीमेंट का उल्लघंन नहीं किया है। इसलिए FIR नहीं हो पाती।