
पिछले महीने ओपेक प्लस देशों ने अगस्त से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया था। लिहाजा इराक, कुवैत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) समेत रूस ने इस महीने से अपना उत्पादन बढ़ा दिया है। रूस ओपेक का सहयोगी है। इस कदम से आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में कमी आ सकती है। अगर ऐसा होता है तो पेट्रोल-डीजल 5 रुपए तक सस्ते हो सकते हैं। अभी कच्चा तेल 75 डॉलर प्रति बैरल के करीब बना हुआ है, जो 65 डॉलर तक आ सकता है। बता दें कि देश के ज्यादातर हिस्सों में पेट्रोल की कीमतें 100 के पार हैं।
अगस्त से रोजाना आधार पर 4 लाख बैरल का उत्पादन बढे़गा
इस महीने से ओपेक प्लस देश मिलकर हर महीने रोजाना आधार पर 4 लाख बैरल प्रोडक्शन बढ़ाएंगे। सितंबर में अभी के मुकाबले 8 लाख बैरल रोजाना प्रोडक्शन बढ़ेगा। इस कैलकुलेशन के हिसाब से रोजाना आधार पर अक्टूबर में 12 लाख बैरल, नवंबर में 16 लाख बैरल रोजाना और दिसंबर में 20 लाख बैरल प्रोडक्शन रोजाना आधार पर ज्यादा होगा।
बता दें कि कोरोना संकट के बीच ओपेक प्लस देशों ने पिछले साल रोजाना आधार पर 1 करोड़ बैरल प्रोडक्शन में कटौती की थी। धीरे-धीरे इसमें तेजी आई, लेकिन रोजाना आधार पर अभी भी इसमें 58 लाख बैरल की कटौती है। इससे कच्चे तेल के दाम 75 डॉलर/बैरल पर पहुंच गए हैं।
कीमत कम होने पर भी ज्यादा राहत की उम्मीद नहीं
एनर्जी सेक्टर के जानकार नरेंद्र तनेजा कहते हैं कि कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने से जनता को ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, क्योंकि पेट्रोल-डीजल के महंगे होने का सबसे मुख्य कारण इस पर लगने वाला भारी भरकम टैक्स है। अभी भी देश में पेट्रोल का बेस प्राइस 41 और डीजल का 42 रुपए प्रति लीटर ही है, लेकिन केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले टैक्सों के बाद इनकी कीमत 3 गुना तक बढ़ जाती है।
पेट्रोल-डीजल की कीमत में 60% हिस्सा टैक्स का
तनेजा कहते हैं कि पेट्रोल और डीजल की कीमत में 60% हिस्सा टैक्स का होता है। अभी पेट्रोल का बेस प्राइस 41 और 42 रुपए प्रति लीटर है। जबकि दिल्ली में जनता को पेट्रोल के लिए 101.84 और डीजल के लिए 89.87 रुपए प्रति लीटर चुकाना पड़ रहे हैं। ऐसे में बिना टैक्स में कटौती करे आम जनता को राहत मिलना मुश्किल है।
आने वाले दिनों में कम हो सकते हैं दाम
आर्थिक व कारोबारी पत्रकार शिशिर सिन्हा कहते हैं कि उत्पादन बढ़ने से कच्चे तेल की कीमत कम हो सकती है, लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतें जिस हिसाब से बढ़ी हैं, उस हिसाब से इसमें कमी नहीं आएगी। आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2021 के पेट्रोल- डीजल की खपत प्री-कोविड लेवल को पार कर गई है।
4 से 5 रुपए तक सस्ते हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल
IIFL सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी) कहते हैं कि कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने से आने वाले दिनों में इसका दाम कम होकर 65 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकता है। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम में 4 से 5 रुपए तक की कमी आ सकती है।
मोदी सरकार में पेट्रोल का बेस प्राइस कम हुआ, फिर भी इसकी कीमत बढ़ी
पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के अनुसार मई 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब पेट्रोल का बेस प्राइस 47.12 रुपए प्रति लीटर था, जो जुलाई 2021 में घटकर 41 रुपए रह गया। यानी इसमें गिरावट आई, लेकिन तब से लेकर आज तक पेट्रोल की कीमतें 43% तक बढ़ चुकी हैं। मई 2014 में दिल्ली में पेट्रोल 71.41 रुपए था, जो अब 101.84 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया है।
4 बातों पर निर्भर करते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
पेट्रोल या डीजल की कीमतें मुख्य रूप से 4 कारकों पर निर्भर करती हैं। इनमें कच्चे तेल की कीमत, रुपए के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कीमत, टैक्स और इनकी मांग का स्तर। इसमें सबसे बड़ी वजह टैक्स ही है।
बीते 1 साल में 44 से 74 डॉलर पर आया कच्चा तेल
2 अगस्त 2020 को कच्चे तेल के भाव 44 डॉलर प्रति बैरल के करीब थे, लेकिन उत्पादन घटने और मांग बढ़ने के कारण इसकी कीमत में लगातार बढ़ोतरी हुई। आज की बात करें तो अभी ये 75 डॉलर के करीब चल रहा है।
भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल करता है आयात
हम अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं। इसकी कीमत हमें डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल-डीजल महंगे होने लगते हैं। कच्चा तेल बैरल में आता है। एक बैरल यानी 159 लीटर कच्चा तेल होता है।