नई दिल्ली
स्वाइन फ्लू के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह स्थिति आ सकती है, जिसमें डॉक्टर स्वाइन फ्लू के हर संदिग्ध मरीज को ऐंटि-वायरल दवाएं दे सकते हैं। मगर, हर मरीज को ऐंटि-वायरल दवाओं की जरूरत नहीं होती, ऐसे में डॉक्टर के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि किस मरीज को ऐंटि-वायरल दवा की जरूरत है और किस मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है।
इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ.ए. मार्तंड पिल्लै और आईएमए के महासचिव पद्मश्री, डॉ. बीसी रॉय व डीएसटी नैशनल साइंस कम्युनिकेशन पुरस्कारों से सम्मानित हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल का कहना है कि अगर ऐंटि-वायरल दवा की जरूरत है, तो इसे मरीज को जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी दिया जाना चाहिए
अगर मरीज को लक्षण सामने आने के 48 घंटे के भीतर अगर ऐंटि-वायरल दवाएं न दी जाएं तो इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। इस संबंध में आईएमए द्वारा कुछ तथ्य भी जारी किए गए। इससे डॉक्टरों को ऐसे मरीजों की पहचान करने में सहायता मिलेगी, जिन्हें ऐंटि-वायरल दवा लेने या अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है।
ये हैं तथ्य 1-अमेरिका में कुल मामलों में से 0.3 फीसदी को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है। 2-फ्लू की महामारी की स्थिति में प्रति एक लाख आबादी पर 0.12 मृत्युदर है। 3-अमेरिका में में एच1 एन1 इन्फ्लुएंजा की महामारी में होने वाली कुल मौतें मौसमी इन्फ्लुएंजा के दौरान हुई थीं।
ऐंटि-वायरल थेरेपी की जल्द शुरुआत स्वाइन फ्लू के ऐसे संदिग्ध बच्चों, किशोरों अथवा वयस्क मरीजों में करने की सलाह दी जाती है, जिनमें निम्नलिखित लक्षण हों
-अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति वाला फ्लू हो
-बढ़ता हुआ, गंभीर अथवा जटिल फ्लू
-ऐसे मरीज जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो
स्वाइन फ्लू का खतरा किसे अधिक
-पांच साल से कम उम्र के बच्चे, खासतौर से दो साल से कम उम्र वाले
-65 साल या इससे अधिक उम्र के बुजुर्ग
-गर्भवती महिला या जच्चा को मातृत्व के बाद दो हफ्तों तक ज्यादा खतरा
-ऐसे लोग जो पुरानी मेडिकल समस्याओं से पीड़ित हों जैसे कि फेफड़े की बीमारी जिसमें अस्थमा भी शामिल है।
-किडनी की पुरानी बीमारी हो, लिवर की बीमारी हो, हाइपरटेंशन हो, डायबिटीज हो, अन्य पुरानी बीमारियां एवं गंभीर मोटापा हो