
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन के लिए बनाए गए 3 सदस्यों का आयोग 4 दिन के दौरे पर पहुंच गया है। मंगलवार से शुरू हुए इस दौरे में आयोग के मेंबर राजनीतिक दलों और अफसरों से मुलाकात करेंगे। इसके बाद केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों को नया रूप दिया जाएगा।
तीन सदस्यों का यह आयोग फरवरी 2020 में बनाया गया था। इसकी अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई हैं। वहीं, मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव आयुक्त केवल कुमार शर्मा इसके सदस्य हैं।
जानिए कौन हैं कमीशन के 3 मेंबर
1. जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई:
जस्टिस देसाई सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज हैं। वे महाराष्ट्र की पब्लिक प्रॉसीक्यूटर रही हैं और उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की जज के तौर पर भी काम किया है। देसाई को 1986 में नजरबंदी से संबंधित केसों के लिए महाराष्ट्र का स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बनाया गया था।
2. सुशील चंद्रा:
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) सुशील चंद्रा 1980 बैच के इंडियन रेवेन्यू सर्विस के ऑफिसर हैं। वे भारत के 24वें CEC हैं। इस पोस्ट पर उनकी नियुक्ति 15 फरवरी, 2019 को की गई थी। इससे पहले, 13 अप्रैल 2021 को उन्हें केंद्रीय चुनाव आयुक्त बनाया गया था। वे सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस के चेयरपर्सन रह चुके हैं। चंद्रा दिल्ली में इंटरनेशनल टैक्सेशन के तहत इनकम टैक्स के अपील कमिश्नर भी रहे हैं। उन्होंने मुंबई में डायरेक्टर इन्वेस्टिगेशन, दिल्ली में DG इन्वेस्टिगेशन के तौर पर भी काम किया है।
3. केवल कुमार शर्मा:
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के रहने वाले केके शर्मा 1983 बैच के अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (AGMUT) कैडर के रिटायर्ड IAS ऑफिसर हैं। उन्हें नवंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का सलाहकार नियुक्त किया गया था। जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद वे उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मु और फिर मनोज सिन्हा के सलाहकार भी रहे। उन्होंने 30 अक्टूबर 2020 को इस पद से इस्तीफा दे दिया और फिर वे जम्मू-कश्मीर के चुनाव आयुक्त बने। शर्मा ने चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार के तौर पर भी काम किया है। वे गोवा और दिल्ली के मुख्य सचिव भी रहे हैं।
लोकसभा स्पीकर ने सांसदों को बनाया मेंबर
इनके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के 3 सांसद फारूक अब्दुल्ला, रिटायर्ड जस्टिस हसनैन मसूडी, मुहम्मद अकबर लोन और भाजपा के 2 सांसद जितेंद्र सिंह और जुगल किशोर शर्मा इसके असोसिएटेड मेंबर हैं। इन्हें लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने अपॉइंट किया है।
मार्च 2020 में बनाया गया आयोग
जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने से पहले विधानसभा सीटों को नए सिरे तय करने के लिए मार्च 2020 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। कोरोना महामारी को देखते हुए मार्च 2021 में इसका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों के साथ मीटिंग के करीब 2 हफ्ते बाद आयोग यहां पहुंचा है। मोदी ने परिसीमन को तेजी से करने पर जोर दिया था, ताकि जल्द विधानसभा चुनाव कराए जा सकें।
PDP के अलावा सभी पार्टियां कमीशन से मिलेंगी
कश्मीर घाटी की तीनों लोकसभा सीटें जीतने वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पहले इस कवायद से दूर रहने का फैसला किया था। पार्टी का कहना था कि अभी के हालात में सीटों को नए सिरे से तय करने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि, अब महबूबा मुफ्ती की PDP के अलावा घाटी की सभी पार्टियों ने कमीशन से मिलने का फैसला किया है।
परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में 7 सीटें बढ़ेंगी
5 अगस्त 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 111 सीटें थीं। इनमें से 46 कश्मीर में, 37 जम्मू में, 4 लद्दाख में थीं। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के लिए 24 सीटें रिजर्व रखी गई हैं। इस हिसाब से अब तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 87 सीटों पर चुनाव होते रहे हैं। अलग केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद लद्दाख की 4 सीटों को हटा दिया गया है। इस तरह विधानसभा की कुल 83 सीटें बची हैं।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट 2019 के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 7 सीटें बढ़ाई जाएंगी। इस तरह, परिसीमन के बाद विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी।