Wednesday, September 24

टिड्डी दल के खिलाफ भारत-पाक का जॉइंट ऑपरेशन:इस साल ईरान और अफगानिस्तान से नहीं आएंगी टिड्‌डियां, भारत-पाकिस्तान ने मिलकर करोड़ों अंडे नष्ट किए; UN ने की तारीफ

इस साल भारत में टिड्डियों का आक्रमण नहीं होगा। ईरान-पाकिस्तान के रास्ते आकर हमारी फसलों को चट करने वाली टिडि्डयां इस साल बड़े पैमाने पर पनप नहीं सकी हैं। यह सब भारत-पाकिस्तान की साझा कोशिशों से संभव हो पाया है।

टिड्डियों के हमले पर नजर रखने वाली संयुक्त राष्ट्र (UN) की खाद्य एवं कृषि संस्था के वरिष्ठ लोकस्ट फोरकास्टिंग ऑफिसर कीथ क्रेसमान ने भारत-पाकिस्तान के जॉइंट ऑपरेशन की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि पिछले साल भारत और पाकिस्तान ने 50 करोड़ से अधिक टिडि्डयों का आक्रमण झेला था, लेकिन इस बार दोनों देशों ने मिलकर टिड्डियों के आतंक को नाकाम कर दिया है।

किसानों को होगा फायदा
कीथ क्रेसमान ने कहा, ‘ये बात कम ही लोग जानते हैं, कि भारत और पाकिस्तान के सरकारी लोकस्ट मॉनिटरिंग संस्थाओं ने मिलकर इतना बढ़िया काम किया है कि आज किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। वे अच्छी फसल की उम्मीद कर सकते हैं, क्योंकि फसलों को टिड्डियों से कोई खतरा नहीं है।

दोनों देशों में है लोकस्ट वॉर्निंग ऑर्गेनाइजेशन
भारत और पाकिस्तान में टिड्डियों पर नजर रखने के लिए लोकस्ट वॉर्निंग ऑर्गेनाइजेशन है। भारत में ये कृषि मंत्रालय के तहत आता है। आजादी से पहले ये दोनों एक ही थे। विभाजन के बाद भी दोनों इस तरह काम करते आए हैं, जैसे कि एक ही हों। इन दोनों के अलावा ईरान और अफगानिस्तान के साथ भी UN की टीम टिड्डियों की मॉनिटरिंग करती है।

मॉनिटरिंग का मतलब है डेटा इकट्‌ठा करना, आपस में साझा करना, ताकि अनुमान लगाया जा सके कि टिड्डियां कहां और कितनी मात्रा में पनप रही हैं। किन इलाकों में खतरा हो सकता है। इससे हमला रोकने के लिए तैयारी का वक्त मिल जाता है।

अफ्रीका को इससे सीख लेनी चाहिए: क्रेसमान
क्रेसमान ने कहा है कि पिछले साल से ही दोनों देशों ने ऐसी मुस्तैदी दिखाई कि टिड्डियों को पनपने का मौका ही नहीं मिला। इस साल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में टिड्डियां न के बराबर है। जो हैं भी, उसे प्रकृति संतुलित कर लेगी। उत्तर-पूर्वी अफ्रीका और सऊदी अरब में भी अब परिस्थिति सामान्य है।

भारत में कहीं से भी टिड्डों के आने की संभावना दूर-दूर तक नहीं दिख रही है। मैं मानता हूं कि भारत-पाकिस्तान की तरह अगर अफ्रीका में भी गंभीरता आ जाए तो टिड्डियों के हमले की समस्या से दुनिया को छुटकारा मिल सकता है।

भारत-पाक न सिर्फ डेटा शेयर कर रहे, बल्कि एक्शन भी ले रहे
कीथ क्रेसमान बताते हैं कि टिड्डियां रेतीली जमीन में अंडे देना पसंद करती हैं। भारत में टिड्डियों के साथ समस्या यह हो रही है कि राजस्थान तेजी से हरियाली की ओर बढ़ रहा है। टिड्डियों के लिए जमीन सिकुड़ती जा रही है।

अब उन्हें पनपने के लिए जैसलमेर के पश्चिमी क्षेत्र और पाकिस्तान के सीमाई इलाकों को चुनना पड़ रहा है। यहीं दोनों देशों की संस्थाएं मुस्तैदी से काम कर रहीं हैं और आपस में मिलकर न सिर्फ डेटा साझा कर रहीं हैं, बल्कि एक्शन भी ले रही हैं।

1 दिन में 35 लाख लोगों का भोजन चट कर जाता है टिड्‌डी दल
रेगिस्तानी टिड्डियों की मॉनिटरिंग फायर ब्रिगेड विभाग के जैसा मुश्किल टास्क है, क्योंकि टिड्डियां प्रोफेश्नल सर्वाइवर हैं और ये मनुष्य की उत्पत्ति से पहले से ही धरती पर हैं। ये जब झुंड में आती हैं, तो इनकी संख्या करोड़ों में होती है और एक दिन में ये इतना अनाज चट कर जाती हैं, जो 35 लाख लोगों के लिए काफी होता है।

इन्हें जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है। इन्हें सिर्फ झुंड में परिवर्तित होने से रोका जा सकता है जिसके लिए कई देशों की सरकारों को मिलकर काम करने की जरूरत है।