भोपाल। प्रदेश के सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं पर लगाम लगाने शासकीय सेवक संरक्षण अधिनियम लागू करने की मांग पर मुख्यमंत्री से ठोस आश्वासन न मिल पाने के कारण राज्य के पैतीस संगठनों ने बुधवार को सरकारी दफ्तरों में पूरी तरह काम बंद रखने का एलान किया है। मध्यप्रदेश सिविल सेवा महासंघ के बैनर तले बुधवार को प्रदेश के आठ लाख कर्मचारी काम नहीं करके विरोध प्रदर्शित करेंगे।
राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के महासचिव दीपक सक्सेना ने पत्रकारों को बताया कि प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों-अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों और उनके समर्थकों द्वारा दुर्व्यवहार की हजारों घटनाएं हुई है लेकिन शासन की शिथिलता के कारण किसी भी प्रकरण में आरोपी अपने अंजाम तक नहीं पहुंचा है।
शासकीय कर्मचारियों के हितों के लिए पैतीस संगठनों के 8 लाख कर्मचारियों ने मध्यप्रदेश सिविल सेवा महासंघ का गठन किया है। उन्होंने बताया कि महासंघ शासकीय सेवकों की पदोन्नति,क्रमोन्नति, विभागीय जांच,गोपनीय प्रतिवेदन के मामले लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत अधिसूचित करने और उनके निराकरण के लिए प्रयास करेगा। संघ शासकीय सेवक संरक्षण अधिनियम पारित कराने का प्रयास करेगा और इस अधिनियम में दुर्व्यवहार के मामलों को संज्ञेय और अजमानतीय घोषित करने तथा शासकीय सेवकों को क्षतिपूर्ति राशि देने की मांग प्रमुखता से उठाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि सोलह फरवरी को सभी शासकीय सेवकों के संगठन को मुख्य सचिव ने चर्चा के लिए बुलाया था। उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ चर्चा कराने का आश्वासन देते हुए विधानसभा सत्र को ध्यान में रख टोटल शटडाउन कार्यक्रम स्थगित करने को कहा था।
17 फरवरी को मुख्यमंत्री ने सुबह साढ़े दस बजे संगठनों के प्रतिनिधियों से आधा घंटे तक हुई चर्चा में मुख्यमंत्री ने शासकीय सेवकों की गरिमा और स्वाभिमान में बाधम बन रहे दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।लेकिन उन्होंने मध्यप्रदेश शासकीय सेवक संरक्षण अधिनियम लागू किए जाने और 18 फरवरी के प्रस्तावित शपथ ग्रहण को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। इसलिए १८ फरवरी को एक दिन टोटल शट डाउन और सामूहिक रूप से शपथ वाचन का कार्यक्रम यथावत रखने का निर्णय लिया गया है। सक्सेना ने बताया कि सभी जिलों में शासकीय कर्मचारी-अधिकारी एकत्र होकर सामूहिक रुप से शपथ लेंगे और मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन सौपेंगे। अस्पताल को इससे मुक्त रखा गया है लेकिन वे भी काली पट्टी लगाकर विरोध प्रदर्शित करेंगे