
पिछले करीब 2 महीने से लॉक डाउन चल रहा था। सामाजिक और धार्मिक गतिविधियां भी बंद रहीं लेकिन इसके बावजूद शहर में चोर घाट और पीलिया नाला सहित एक दर्जन से अधिक नालों की गंदगी बेतवा में मिलकर उसके पानी को काले और हरे रंग में बदल रही है।
विदिशा नगर की जीवनदायिनी बेतवा नदी के अपस्ट्रीम रंगई गणेश मंदिर से लेकर अमाछार तक बेतवा नदी में छोटे छोटे स्टाप डैम के कारण बेतवा नदी बंधक हो गई है जिससे उसकी नैसर्गिक के साथ उसकी जीवंतता भी नष्ट हो गई है। रंगई से लेकर रामघाट और शनि घाट से लेकर चरणतीर्थ तक बेतवा का पानी पहले जैसा काला और हरे रंग का दिखाई दे रहा है। इस समय पानी में एल्गी यानी काई की मात्रा ज्यादा पहुंच रही है। इससे पानी में आक्सीजन की मात्रा कम हो गई है।
त्वचा रोग हो सकता है: बेतवा के संरक्षण को लेकर एन जीटी में याचिका लगाने वाले शहर के पर्यावरणविद नीरज चौरसिया का कहना है कि एल्गी बढ़ने से पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। वहीं आजमन से खुजली और अन्य त्वचा संबंधी रोगों की गिरफ्त में आने में देर नहीं लगती।
2 मिली ग्राम बीडीओ लेवल कम: बेतवा के पानी का बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड 3 मिलीग्राम प्रतिलीटर से कम पहुंच गया है। पानी में डिजोल्व ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्राम प्रतिलीटर से अधिक होनी चाहिए।