
नगर व्यापार महासंघ ने सीएम के नाम एसडीएम को दिया ज्ञापन
नगर व्यापार महासंघ ने सोमवार को मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम राजेश मेहता को ज्ञापन सौंपा और वर्तमान में चल रहे लॉक डाउन को अव्यवहारिक बताते हुए रोटेशन पद्घति से अलग अलग दिन समय सीमा निर्धारित कर गाइड लाइन के तहत व्यापार करने की छूट देने की मांग की।
सरकार की दोहरी नीति के कारण लॉक डाउन के दौरान आधा व्यापार चल रहा है। इसमें आन लाइन और होम डिलेवरी को छूट दी गई है। इससे व्यापार चल रहा है। सिर्फ बाजार बंद है। इस कारण छोटे छोटे व्यापारियों के सामने आर्थिक और परिवार के भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया है। इसलिए या तो पूरा कारोबार बंद किया जाए नहीं तो छोटे व्यापारियों को रोजगार करने की छूट जारी की जाए। संक्रमण के खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने लॉक डाउन का समय बढ़ाकर 31 मई कर दिया है।
इस बार 52 दिन से लगातार व्यापार बंद रहा
पिछले साल कोरोना के कारण छोटे व्यापारियों ने लॉक डाउन के दौरान संक्रमण रोकने दो महीने तक अपना कारोबार बंद रखा था। पूरा सहयोग किया था। इस बार भी 52 दिन से लगातार व्यापार बंद रखकर सहयोग कर रहे हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। सरकार ने न तो पिछले और न ही इस साल संकट काल में बिजली के बिल, बैंक ब्याज, कर आदि में राहत तक नहीं दी। लॉक डाउन के दौरान किराया, ऋण, किस्त, बिल और कर पेनल्टी के साथ वसूल कर रही है। जबकि व्यापार बंद होने के कारण व्यापारी की आय नहीं हो रही है।
इसलिए की मांग
वर्तमान में संक्रमण की दर कम हो गई है। इससे ध्यान में रखते हुए सीमित समय में दुकान खोलने की अनुमति दी जाए। इससे संक्रमण फैलने का खतरा भी नहीं रहेगा। व्यापारियों की परेशानियां भी कम हो सकेंगी।
सिर्फ छोटे कारोबारी परेशान
संघ के अध्यक्ष मनोज डागा का कहना है कि सरकार की इस मामले में दोहरी नीति है। लॉक डाउन पूरे व्यापार पर लगाया गया है लेकिन इससे बड़ी कंपनियों व बड़े व्यापारियों को छूट दी जा रही है वह अपना ऑन लाइन कारोबार धड़ल्ले से कर रहे हैं। मोबाइल पर सामग्री की होम डिलेवरी कर रहे हैं। इससे आधा व्यापार चल रहा है। सिर्फ बाजार बंद होने से छोटे व्यापारी परेशान हो रहे हैं। उनको सरकार की ओर से कोई राहत नहीं दी जा रही है जबकि सरकार का बंद के मामले में एक जैसी नीति होना चाहिए।
पिछले साल मिला भरपूर सहयोग
व्यापारियों ने पिछले साल पूरा सहयोग दिया था। इस साल भी सहयोग दे रहे हैं। सवा साल में छोटे कारोबारी आर्थिक रुप से पूरी तरह टूट चुके हैं। अब हालात इतने खराब हैं कि उनको परिवार का खर्च चलाने में काफी समस्या आ रही है या तो सरकार उनको राहत दे नहीं तो गाइड लाइन के तहत उनको समय निर्धारित कर बारी बारी से दिन के आधार पर व्यापार करने की अनुमति प्रदान करे।