Wednesday, September 24

कोरोना के बाद कुदरत की मार:आंधी में छप्पर उड़ा तो परिवार खुले आसमां के नीचे, कुछ खाने को नहीं… किससे कहे दर्द

कोरोना से लोगों के हालात नहीं सुधरे, कामकाज बंद, दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी नहीं मिल रही, अब प्रकृति का कहर भी जीने नहीं दे रहा

गांवों भी सभी प्रकार के कामकाज बंद है। दैनिक उपयोग की अन्य वस्तुओं के लिए भी दिक्कत है। कुछ परिवारों को प्रशासन ने उचित मूल्य की राशन दुकानों से बांटा गया राशन मिल रहा है, लेकिन कुछ को नहीं। यहीं के जमना प्रसाद ने बताया कि मेरे छोटा से परिवार में वृद्ध मां कोशियां बाई के अलावा पत्नी और बच्चें हैं।

कच्चे मकान का छप्पर कुछ दिन पहले चली तेज आंधी के कारण उड़ गया। अब परिवार खुले आसमान के नीचे हैं। घर में कुछ खाने के लिए भी नहीं है। बुजुर्ग महिला कोशियां बाई ने बताया कि हमें भूखे पेट रहने की तो आदत सी पड़ गई है। अब किसके पास जाएं हमारी कौन सुनेगा।

आठ माह से नहीं मिला राशन, परिवार का मुखिया अपाहिज, पटवारी ने पंचनामा बनाया
तहसील कार्यालय पास ही रहने वाले कोमल प्रसाद कुशवाह ने बताया कि इनके छोटे-छोटे दो बच्चे हैं। परिवार को चलाने वाला मुखिया स्वयं कोमलसिंह शारीरिक रुप से कमजोर एवं अपाहिज है। इनकी खाद्यान्न पर्ची करीब 8 माह से बंद है। इससे किसी प्रकार का खाद्यान्न पिछले आठ माह से नहीं मिल रहा है। ग्यारसपुर व्यापार संघ द्वारा दोनों परिवारों की तात्कालिक व्यवस्था की गई है। मौके पर पटवारी ने जाकर पंचनामा बनाकर प्रशासन को प्रस्तुत किया है।

मैं छोटे काम देखने नहीं, 200 गांव देखता हूं
मैं यह छोटे कामकाज देखने के लिए नहीं हूं। मैं 200 गांवों को देखता हूं। किसका छप्पर उड़ा या नहीं यह मेरे को कैसे याद रहेगा। यह काम पटवारी का है। साथ ही कहा कि मुझसे कोविड के बारे में जानकारी ले सकते हैं। यह छप्पर उड़ा या नहीं यह कोई गंभीर बात नहीं है। वहीं नियमानुसार पात्र लोगों को राशन दिया जा रहा है। जहां जानकारी मिल रही है उन पात्र जरूरतमंदों को राशन उपलब्ध करा रहे हैं।-बृजेंद्र रावत, एसडीएम।