Wednesday, September 24

साथी हाथ बढ़ाना:5 किसान अपने तालाब और ट्यूबवेल से सूखी नहर में पानी डालकर दूसरे किसानों की बचा रहे फसल, 60 से 70 एकड़ फसल की हो रही सिंचाई; नाम दिया टेल-टू-हेड

मध्यप्रदेश के सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक और कृषि मंत्री कमल पटेल के गृह जिला हरदा में 5 किसान जलदान कर रहे हैं। नहर में 15 मई से पानी आना बंद हो गया। आसपास के गांवों की मूंग की फसल को पानी की सख्त जरूरत है। जिन किसानों के पास सिंचाई के अन्य साधन नहीं थे उन्हें परेशानी होने लगी। कुछ किसानों की फसल सूखने लगी तो पांचों किसान आगे आए। इन्होंने अपने तालाब और ट्यूबवेल से नहर में पानी देने लगे। इससे डेढ़ से 2 किलोमीटर एरिया में सिंचाई हो सकेगी। 60 से 70 एकड़ में सिंचाई हो रही है।

सोनखेड़ी गांव के किसान मुकेश पुनिया अपने 1 एकड़ के तालाब का पूरा पानी नहर में छाेड़ दिया है। उनके चारों मामा ने भी उनकी पहल काे आगे बढ़ाते हुए अपनी निजी ट्यूबवेल चालू कर पानी नहर में लगातार छोड़ रहे हैं। इस पहल की जिलेभर में सराहना की जा रही। इस पहले में अन्य किसानों ने भी जुड़ने की पहल की है।

नर्मदापुरम संभाग के होशंगाबाद और हरदा जिले में 40-40 हजार हेक्टेयर भूमि में किसानों ने मूंग की फसल बोई है। 23 मार्च से हरदा जिले के लिए तवा डैम से पानी नहर में छोड़ा जा रहा था। बावजूद अंतिम छोर के खेतों तक नेहर का एक बार ही पानी पहुंच पाया। 15 मई से नहर में डेम से पानी छोड़ना बंद कर दिया है। पानी नहीं मिलने से फसलें मुरझा रही थीं।

किसानों की चिंता बढ़ गई। ऐसे में ग्राम सोनखेड़ी के किसान राधेश्याम ढाका, कैलाश ढाका, संतोष ढाका, रामनिवास ढाका और मुकेश पुनिया ने अपने-अपने खेतों के ट्यूबेल का पानी छोटी नहर में छोड़ना शुरू किया। ताकि एक-डेढ़ किमी दूर स्थित खेतों के किसान मूंग फसल की सिंचाई कर सकेंगे।

हम किसान साथी और एक परिवार हैं
सोनखेड़ी के किसान मुकेश पुनिया की 100 एकड़ जमीन नहर किनारे है। उन्हें तीनों पानी नहर से मिल गए। माइनर सूखी होने से जब उन्होंने दूसरे किसानों के नुकसान के बारे में सुना तो दुखी हो गए। तब उन्होंने सबसे पहले एक एकड़ तालाब का पानी पाइप के माध्यम से मोटर चलाकर माइनर में छोडऩा शुरू किया। यह नाकाफी था, तब अपने मामा राधेश्याम, कैलाश, रामनिवास व संतोष ढाका से बात की। वे भांजे की पहल से खुश हुए। उन्होंने इसे आगे बढ़ाने के लिए अपने-अपने 4 ट्यूबवेल का पानी भी इसी माइनर में छोड़ दिया। हम किसान साथी एक परिवार है। एक दूसरे के सुख-दुख में खड़े रहना हमारा फर्ज है। परिवार के कुछ सदस्यों पर संकट आता तो दूसरे सदस्य ही खड़े होकर समस्या का समाधान करते है।

टेल-टू-हेड दिया नाम
किसानों के इस सहयोग की फोटो और जानकारी जैसे ही जिले के अन्य किसानों मिली व सोशल मीडिया पर वायरल हुई। सभी ने सराहना की। किसानों ने इसे टेल-टू-हेड नाम दिया। यानी शुरू से आखिरी छोर तक सहायता पहुंचाई जाएगी।