
- अप्रैल के 22 दिन में ही मेडिकल कॉलेज में 154 मरीजों की हो चुकी है मौत
- बेतवा तट स्थित मुक्तिधाम में हुए 28 अंतिम संस्कार, ईंधन की व्यवस्था में जुटी समिति
अटलबिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज से गुरुवार को 20 शव बाहर निकले। इससे पहले मंगलवार को 25 शव बाहर निकले थे। अप्रैल के 22 दिन में मेडिकल कॉलेज में 154 मरीज दम तोड़ चुके हैं। वहीं शेरपुरा निवासी एक 70 वर्षीय महिला की काॅलेज की सीढ़ियों पर ही मौत हो गई, उसका ऑक्सीजन लेवल 37 था।
बेतवा तट स्थित मुक्तिधाम में दिनभर चिताएं जल रही हैं। चिताओं की आग थमती ही नहीं है। इसके पहले ही और शव यहां आ जाते हैं। गुरुवार को मुक्तिधाम में 17 कोरोना संक्रमित मरीजों का अंतिम संस्कार हुआ। इसके अलावा 11 सामान्य संस्कार हुए। इस तरह मुक्तिधाम में 28 अंतिम संस्कार हुए हैं।
ईंधन की कमी न हो जाए, समिति कर रही प्रयास
मुक्ति धाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे ने बताया की लगातार कोरोना और सामान्य मरीजों के अंतिम संस्कार विदिशा के मुक्तिधाम में कराए जा रहे हैं। इस वजह से सामान्य दिनों की तुलना में बहुत अधिक लकड़ी और कंडों का खर्च हो रहा है।
उनका कहना है इस त्रासदी में किसी भी प्रकार से अंतिम संस्कार में ईंधन की कमी न आए, इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। जगह-जगह से लकड़ी और कंडे मंगाए जा रहे हैं। अभी 400 क्विंटल लकड़ी और 25 हजार कंडे मंगाए हैं।
बेटा इलाज कराने पहुंचा था, भर्ती होने सेे पहले हो गई मौत
विदिशा मेडिकल कॉलेज की सीढ़ियों पर शेरपुरा निवासी 70 वर्षीय फूलादेवी पत्नी प्रकाश केवट की मौत हो गई। गुरुवार सुबह बेटा उमेश उनको ऑटो से लेकर इलाज कराने पहुंचा था। सीढ़ियों पर पहुंचते ही उनकी तबीयत बिगड़ गई। यह देखकर फीवर क्लीनिक में मौजूद डॉक्टर दीपक खरेलिया उनके पास पहुंचे।
उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन सिर्फ 37 था। पीपीई किट पहनकर आई नर्स ने उनकी कोरोना की जांच की। एंटी रेपिट टेस्ट निगेटिव आया। इस बीच उन्हें वार्ड में ले जाने का बोला गया लेकिन उनकी मौत हो गई। हालांकि कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि मौत सीढ़ियों पर नहीं बल्कि वार्ड में ले जाते समय हुई है।
वहीं मौजूद लोगों का कहना था कि बुजुर्ग महिला की मौत सीढ़ियों पर ही हो गई थी। डॉ. खरेलिया ने बताया कि महिला सस्पेक्टेड थी, इसलिए आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करने कहा था। ऑक्सीजन लेवल कम होने से महिला की मौत हो गई। परिजन उन्हें वार्ड तक ही लेकर नहीं जा सके।
टायफाइड की थी समस्या
फूलादेवी के बेटे सुरेश केवट ने बताया कि मां की तबीयत एक दिन पहले बिगड़ी थी। उन्हें टाइफाइड था। उनका इलाज भी चल रहा था। गुरुवार को इलाज कराने भाई ले गया था। भर्ती होने के पहले ही उनकी मौत हो गई।
कोविड सेंटर से कॉल आया, आपके पिता की मौत हो गई, बेटे ने कॉल किया तो पिता बोले- मैं ठीक हूं
विदिशा. पचमा रोड निवासी 70 साल के शंभूसिंह रघुवंशी को उनके परिजन मेडिकल काॅलेज से डिस्चार्ज करवाने की तैयारी कर रहे थे, तभी कोविड सेंटर से उनके बेटे राजकुमार रघुवंशी के पास कॉल आया कि आपके पिता का निधन हो गया है। इस बात से परिजन घबरा गए। इस बीच करीब आधा घंटे तक परिजन शव लाने की तैयारी करने लगे। परिजन मर्चूरी रूम तक पहुंच गए।
इस बीच उनके बेटे ने सोचा कि सुबह तो पिता से अच्छे से बात हुई थी। इतनी जल्दी पिता की मौत कैसे हो सकती है, इसलिए उन्होंने अपने पिता को कॉल किया तो पिता ने कॉल रिसीव कर लिया। घबराए बेटे ने पूछा कि पिताजी आप कैसे हैं। जवाब में पिता बोले कि बेटा मैं बिल्कुल ठीक हूं।
9 अप्रैल को कोविड सेंटर में कराया था भर्ती
राजकुमार रघुवंशी ने बताया कि पिता 70 वर्षीय शंभू सिंह रघुवंशी की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, इसलिए 9 अप्रैल को उन्हें विदिशा के मेडिकल कॉलेज के कोविड सेंटर में भर्ती कराया गया था। गुरुवार दोपहर एक बजे फोन आया कि उनके पिता की डेथ हो गई है। बॉडी आकर ले जाइए। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. सुनील नंदेश्वर का कहना है कि यदि ऐसा हुआ है तो मामला गंभीर है। मैं पड़ताल करूंगा। ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए।