
- केरल में पहचान बनाने की कोशिश कर रही भाजपा ने श्रीधरन को पलक्कड़ सीट से टिकट दिया है
- हालांकि, श्रीधरन को टिकट देने से पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी साफ नजर आती है
आज बात उस सीट की, जिस पर पूरे देश की नजर है। यह सीट केरल की पलक्कड़ है। वजह- मेट्रो मैन इंजीनियर ई. श्रीधरन इसी सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। पलक्कड़ में क्या कुछ चल रहा है? ब्यूरोक्रेट्स से इंजीनियर बने श्रीधरन चुनावी कैंपेन कैसे कर रहे हैं? सबकुछ जानने के लिए मैं त्रिशूर से शुक्रवार दोपहर 12 बजे पलक्कड़ पहुंचा और 2 दिन यानी रविवार दोपहर तक श्रीधरन के साथ और उनकी इस विधानसभा क्षेत्र में ही रहा। इस दौरान काफी कुछ देखा-सुना, श्रीधरन और स्थानीय लोगों से बातचीत भी हुई…।
बात पहले दिन की करते हैं। शुक्रवार 12 बजे का वक्त था, मैं सीधे पलक्कड़ में भाजपा के दफ्तर पहुंचा। यहां पर चुनावी चहल-पहल थी। दफ्तर के बाहर ढेर सारे होर्डिंग रखे हुए हैं। सबसे पहले मुलाकात भाजपा जिलाध्यक्ष कृष्णदास अस्वस्थी से हुई। श्रीधरन कहां हैं? यह पूछने पर वे बोले- अभी फील्ड में गए हुए हैं। यहां से करीब 30 किमी दूर हैं। और तैयारी कैसी चल रही है? इस पर पार्टी के वफादार सैनिक की तरह अस्वस्थी बोले- बहुत बढ़िया। हम जीत रहे हैं।
यहीं पर उन्हीं के सामने वाली कुर्सी पर काशीनाथ बैठे हुए थे, वे भाजपा के जोनल प्रभारी हैं, पलक्कड़, त्रिशूर और मलप्पुरम के संगठन महामंत्री हैं। मैंने पूछा- हर बूथ तक आप लोग कैसे पहुंच रहे हैं? कहने लगे- देखिए, पलक्कड़ में तकरीबन 140 बूथ हैं, इनमें से हर एक में 5 से 7 वार्ड आते हैं। इन वॉर्ड को हमने स्क्वॉड में बांटा हुआ है। इसका एक स्क्वॉड प्रमुख बनाया है। यह पन्ना प्रमुख जैसा ही है। हमारे कार्यकर्ता हर स्क्वॉड में घर-घर जा रहे हैं। सोशल मीडिया को कैसे हैंडल कर रहे हैं? इस सवाल पर उन्होंने बताया- हर स्क्वॉड में दो ग्रुप हैं, एक में पार्टी के कार्यकर्ता और दूसरे में पार्टी वर्कर्स को जोड़कर जरूरी संदेश भेज रहे हैं।
दबी जुबान से कार्यकर्ता कहते हैं- पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है
पार्टी कार्यालय के गलियारे में ही मेरी मुलाकात कुछ और भाजपा नेताओं से हुई। इनकी बातों से नाराजगी साफ झलकती है, लेकिन वफादार कार्यकर्ता होने के नाते जोर से कुछ नहीं बोलना चाहते हैं। धीरे-धीरे बोलते हैं, ताकि कोई सुन न ले। नाम भी नहीं बताने की हिदायत देते हैं। मैंने पूछा क्या चल रहा है, श्रीधरन जीत रहे हैं न? हाथ के इशारे से कहते हैं कि बहुत मुश्किल है। यहां आपस में ही नहीं बन रही है तो बाहर का क्या पता। सब बंट गए हैं, जानते नहीं हैं, दो गुट हैं यहां।
पार्टी अध्यक्ष सुरेंद्रन ने सब पुराने कार्यकर्ताओं को किनारे लगा दिया है, नए और बाहरी लोग ले आए हैं। वो बीएल संतोष गुट के हैं। इन्हीं में से एक का नाम एन शिवराज है, वे कहते हैं कि यहीं बगल की एक सीट है, वहां से दो बार मैं भी लड़ रहा था, इस बार मेरा टिकट काट दिया है। यही सब है, कुछ नहीं हो सकता है। पिछली बार 25 हजार वोटों से हारा था, इस बार जीत सकता था, पर टिकट ही काट दिया। इसके बाद वे मोबाइल में पीएम मोदी के साथ मंच साझा करने की एक पुरानी फोटो भी दिखाते हैं।
यहीं पर एक दूर की पंचायत से सिबू आए हुए हैं, जिन्होंने आर्मी से रिटायर होने के बाद करीब तीन साल पहले भाजपा ज्वॉइन की थी। सिबू पलक्कड़ में एक पंचायत के प्रभारी हैं। वे बताते हैं- एक दिन कम्युनिस्ट पार्टी के 8-10 लोगों ने मुझपर हमला कर दिया, मरा जानकर ही छोड़ा था, लेकिन मैं बच निकला। देखिए मेरा एक पैर काट दिया है। एक हाथ में स्टील की रॉड है। किसी तरह चल रहा हूं। 270 टांके लगे थे। अब भी भाजपा के लिए ही काम कर रहा हूं।
यह पूछने पर क्या भाजपा के बड़े नेताओं ने आपकी मदद की, कहते हैं नहीं जी। लेकिन कहां जाऊं, भाजपा छोड़ भी नहीं सकता हूं, बचपन से मेरे घर में शाखा लगती थी। फादर संघ में ही थे, इसलिए मैं भी भाजपा में आ गया। अब छोड़ूंगा तो और जान नहीं बचेगी।
आतिशबाजी ऐसी जैसी उत्तर भारत की शादियों में होती है
बहरहाल, पार्टी ऑफिस से श्रीधरन का शेड्यूल पूछने पर पता चलता है कि वे शाम के 6 बजे शहर के मनगाव पहुंचेंगे, वहां उनका कार्यक्रम है। मैं कार्यक्रम से करीब आधे घंटे पहले ही वहां पहुंच गया। कुछ कुर्सियां, पार्टी के झंडे और 100-200 लोगों की भीड़ वहां मौजूद थी। पता चला कि कार्यक्रम छोटा ही है। छोटी बच्चियां हाथों में फूलों की थाली लिए खड़ी हैं।
कुछ देर बाद एक इनोवा कार से श्रीधरन दो-तीन लोगों के साथ पहुंचते हैं। उनके पीछे एक कार और होती है। कार से उतरने के साथ ही लड़कियां फूलों से उनका स्वागत करती हैं। भारत माता की जय और वंदे मातरम् के नारे भी लगते हैं। आतिशबाजी तो ऐसी होती है, जैसे उत्तर भारत की शादी-बारात में होती है। श्रीधरन कार से उतरकर बिना लोगों से ज्यादा मिले-जुले सीधे कार्यक्रम की जगह पहुंच जाते हैं।
कुर्सी पर बैठने के साथ ही श्रीधरन के पैर छूने वालों की लाइन लग जाती है, क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग, क्या महिलाएं हर कोई बस मानों उनका पैर छूने की ही फिराक में हो। पैर की छुआई खत्म हुई तो सेल्फी लेने वालों का तांता लग गया। बच्चे तो ऐसे मिल रहे थे उनसे, मानो पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम मिल गए हों। कुछ तो उन्हें कमल का फूल भी दे रहे थे। एक-दो लोगों के बोलने के बाद माइक श्रीधरन के हाथ में आता है, साउंड बहुत कम आवाज वाला ही था, क्योंकि लोग भी 150 से 200 ही थे। वह बैठे-बैठे ही मलयालम में कुछ बोलते हैं, लोग ताली बजाते हैं। बमुश्किल पांच मिनट में ही उनकी बात खत्म हो जाती है। फिर वे बगल में ही एक घर में चले जाते हैं। कुछ मिनट वहां रहते हैं।
यहां से श्रीधरन भीड़ के बीच से निकलते हुए एक चर्च के लिए रवाना हो जाते हैं। चर्च में करीब 10 मिनट गुजारते हैं। 10-20 लोगों से मिलते हैं। रात के साढ़े सात बज रहे होंगे, श्रीधरन शहर के डॉक्टरों की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में शरीक होने विजया हॉस्पिटल के पास पहुंचते हैं। यह आयोजन डॉक्टर राधाकृष्णन के घर के अहाते में हो रहा था। ज्यादातर इसमें शामिल होने वाले लोग डॉक्टर, उनकी पत्नियां, बच्चे ही थे। यहां भी श्रीधरन चंद मिनट ही बोलते हैं। फिर डॉक्टर राधाकृष्णन उन्हें अपने घर में ले जाते हैं, जहां उन्हें नारियल पानी दिया
यहां जिस कमरे में श्रीधरन बैठे थे, वह शाही महल जैसा लग रहा था, लाइटिंग की अलग से व्यवस्था थी। एक महिला ने उन्हें गीता भी भेंट किया। कुछ ने अंगवस्त्र। इसके बाद बारी शुरू होती है, पैर छूने वालों और साथ में फोटो खिचाने वालों की। करीब आधे घंटे तक 88 साल के श्रीधरन फिल्म स्टार जैसी भूमिका में होते हैं, वे बस फोटो सेशन ही करवाते रहते हैं। कभी मुस्कुराते हैं, तो कभी हाथ जोड़ते हैं, लेकिन खीझते नहीं हैं। यह सब खत्म होता है, तो निकलते-निकलते मेरी बातचीत होती है, वे कहते हैं- आज तो काफी टाइम हो गया है, कल सुबह मिलते हैं, आराम से बातचीत होगी। एड्रेस मैं आपको भिजवाता हूं। बाद में मैसेज मिलता है, आठ बजे आ जाइएगा।
पलक्कड़ में पिछले चुनाव में भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी
भाजपा ने श्रीधरन को इसलिए भी पलक्कड़ से टिकट दिया है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा इस सीट पर दूसरे नंबर पर रही थी। यह सीट फिलहाल कांग्रेस के पास है। कांग्रेस के शाफी पारांबिल यहां से दो बार से जीत रहे हैं। 2016 में उन्होंने भाजपा की शोभा सुरेंद्रन को 17 हजार वोटों से हराया था।
हालांकि, दिसंबर 2020 में हुए लोकल बॉडी चुनाव में भाजपा ने इस विधानसभा के 52 में से 28 वार्डों में जीत दर्ज की है। सीट पर 1.84 लाख मतदाता हैं, जिनमें से तकरीबन 50% हिंदू वोटर हैं।
मेट्रो मैन श्रीधरन के साथ पलक्कड़ में पहला दिन कुछ ऐसा गुजरा । अगली रिपोर्ट में दूसरे दिन का हाल…