रांची। पांच बार सांसद रहे इस 90 साल के बुजुर्ग की शख्सियत में अजूबे ही अजूबे हैं। कपड़ा पहनने के स्टाइल से लेकर बीवियों की संख्या तक जितने तह में जाएंगे उतनी ही नई नई बातें चौंकाएंगी। कपड़े के नाम पर शरीर के निचले भाग में सिर्फ धोती लपेटकर रहने वाले इस राजनेता के नजदीकी लोग बताते हैं कि इन्होंने अब तक करीब 60 शादियां की हैं। शक की गुंजाइश इसलिए भी नहीं है क्योंकि जब भी सीधे इनसे पूछा गया तो इन्होंने जवाब दिया, खुद पता लगा लीजिए न। इस आदिवसी नेता का नाम है बागुन सुंबई। 24 फरवरी 1924 को झारखंड के कोल्हान इलाके में एक हो आदिवासी परिवार में पैदा हुए। युवावस्था से ही राजनीति में आ गए। आजादी के बाद ऐसी किस्मत चमकी कि अब तक पांच बार सांसद रह चुके हैं। इतना ही नहीं, अलग सरकारों में मंत्री और विभिन्न सरकारी समितियों के प्रमुख के तौर पर भी अपनी भूमिका निभाई। लेकिन इन सबसे अलग इनका निजी जीवन काफी चर्चा का विषय रहा है। बागुन सुंबई को शादियों की जैसे आदत रही है। हालांकि उन्होंने कितनी शादियां की, इसका कोई पमाणिक रिकॉर्ड नहीं है पर वह कहते रहे हैं कि कई शादियां तो वे भूल गए। बागुन के करीबी बताते हैं कि उनकी पांच पत्नियां हैं, पर बहुत से लोग उनकी पत्नियों की संख्या 60 तक बताते हैं। बागुन के बारे में बताया जाता है कि शुरू में उन्होंने एक लड़की से शादी कि इच्छा जाहिर की थी, पर इस शर्त पर कि उसकी अन्य दो सहेलियों से भी बागुन को शादी करनी पड़ेगी। पत्रकारों से बातचीत में जब भी बीवियों के बारे में पूछा गया, उनका जवाब मिला-खुद खोज लीजिए। बागुन ने 1942 में एक जमीन विवाद को सुलझाने के लिए शादी की। उसी साल उन्होंने शरीर के ऊपरी भाग पर कपड़े पहनना छोड़ दिया। बागुन पहली बार 1977 में सांसद बने और लगातार तीन बार बनते रहे 1991 तक। उनके कई बच्चे और नाती पोते हैं। बागुन की पोशाक भी काफी चर्चित रही है। वे सिर्फ शरीर के निचले भाग पर धोती लपेटते हैं। ऊपरी भाग पर धोरी के बचे हुए हिस्से को डाल लेते हैं। चाहे चिलचिलाती धूप हो या कड़ाके की ठंड या फिर बरसात, वह हमेशा धोती में ही होते हैं।वह कई महिलाओं से शादी रचाने को समस्या नहीं मानते। कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण मेरे आदर्श हैं। उन्होंने 16 हजार कन्याओं से शादी की और दुनिया उनकी पूजा करती है। आदिवासी समाज में भी बहुविवाह वर्जित नहीं है। बताते चलें कि बहुपत्नी विवाह झारखंड के आदिवासियों में कोई असामान्य बात नहीं है। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने कई शादियां क्यों कि वह कहते हैं कि मैं कभी लड़कियों या लड़कियों के पीछ नहीं भागा, बल्कि वे ही मेरे पीछे आती रहीं। अगर वे मेरे अंदर कुछ आकर्षण देखते हैं तो मैं क्या कर सकता हूं? मैं किसी का निराश नहीं कर सकता जो मुझसे शादी करना चाहती है। बागुन यह भी कहते हैं कि कई आदिवासी महिलाओं ने उनसे सिर्फ राजनीति में आने के लिए शादी की। अनिता सुंबई उनमें से एक हैं। अनिता और बागुन की बेटी एक ही क्लास में पढ़ती थीं और उन्होंने अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ सुंबई से शादी की थी। हालांकि अनीता एक सरकारी स्कूल में एक शिक्षक बन कर रह गईं। अनिता ने एक बार कहा था, यह सही है कि मैं एक राजनेता बनना चाहती थी।