
पश्चिम बंगाल की हॉटसीट बन चुके नंदीग्राम में आम लोग किसी के भी समर्थन में खुलकर बोलने से बच रहे हैं। उन्हें डर है कि चुनाव के बाद जो हारेगा, वो इसका बदला ले सकता है। TMC और BJP दोनों ही पार्टी के कार्यकर्ता तो खुलकर बोल रहे हैं। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगा रहे हैं, लेकिन आम लोग किसके साथ हैं, यह नहीं बता रहे। नंदीग्राम में 62 हजार अल्पसंख्यक वोट हैं, जबकि करीब 2 लाख 15 हजार हिंदू वोट हैं। इसलिए हर पार्टी यहां हिंदू कार्ड खुलकर खेल रही है।
नंदीग्राम में पहली बार ऐसा हो रहा है कि दोनों बड़ी पार्टियों तृणमूल कांग्रेस और BJP के नेता हिंदू मंदिरों में माथा टेक रहे हैं और बार-बार हिंदू देवी-देवताओं का जिक्र कर रहे हैं। BJP उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी ने यहां अपने कार्यालय का शुभारंभ किया तो बकायदा पूजन-हवन किया। भारत माता की फोटो रखकर उनकी भी पूजा की गई। कार्यालय भी ऐसी जगह लिया गया है, जहां बाहर ही हनुमान जी की बड़ी प्रतिमा लगी है। अधिकारी ने उद्घाटन के पहले हनुमान जी की पूजा भी की थी। इसके बाद उनके भाषण सुनने आए लोगों को लड्डू खिलाए गए। ममता बनर्जी भी यहां दो दिन रुकी तो चार बार अलग-अलग मंदिरों में गईं और मंच से चंडी पाठ भी किया।
शुभेंदु दीदी को बाहरी बताते हैं, अब वे यहां जमीन खरीदने की तैयारी में
नामांकन के वक्त ममता बनर्जी नंदीग्राम आई थीं तो वे यहीं एक घर में रात में ठहरीं। घर को तिरंगे से सजाया गया था। वहीं दूसरे दिन वे एक अन्य घर में रुकने वाली थीं, लेकिन चोटिल होने के चलते उन्हें अचानक कोलकाता जाना पड़ा। तृणमूल कांग्रेस के मेदिनीपुर जिला के उपाध्यक्ष शेख सूफियान कहते हैं, ‘दीदी नंदीग्राम विधानसभा में ही चार अलग-अलग घरों में रुकेंगी। दो घर उन्होंने किराये पर ले लिए हैं और दो और लेंगी।’ उन्होंने ये भी बताया कि दीदी जल्द ही यहां जमीन खरीदकर मकान भी बनाएंगी। तृणमूल से BJP में आए शुभेंदु अधिकारी ममता को बाहरी बता रहे हैं। वे कहते हैं कि ममता पूरे नंदीग्राम को अच्छे से जानती भी नहीं। BJP के नंदीग्राम विधानसभा के प्रभारी पलय पाल कहते हैं, ‘नंदीग्राम को भूमिपुत्र चाहिए। शुभेंदु ने ही मंत्री रहते हुए यहां विकास के कार्य किए। इसलिए लोग भूमिपुत्र को ही जिताएंगे।’
दोनों की रैली में जमकर उमड़ रही भीड़, BJP कैंप में लग रहे जय श्रीराम के नारे
नंदीग्राम में ममता और शुभेंदु दोनों की ही रैलियों में जमकर भीड़ जुट रही है। BJP के कैंप में लाउडस्पीकर के जरिए जय श्रीराम के नारे का शोर है। वहीं ममता भी अब अपनी रैली और भाषणों में मां दुर्गा का जिक्र नहीं नहीं भूलतीं। वे कई देवी-देवताओं के नाम लेती हैं और मंदिर भी जाती हैं। हालांकि शुभेंदु दीदी पर तंज कस रहे हैं कि चुनाव के पहले उन्हें अपना हिंदू धर्म याद आ गया। नंदीग्राम में जैसा चुनाव इस बार हो रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। पहले कभी यहां धर्म भी कोई मुद्दा नहीं रहा, लेकिन इस बार आम लोग भी समझ चुके हैं कि चुनाव हिंदू बनाम मुस्लिम हो गया है और हिंदू वोटर ज्यादा हैं, इसलिए हर पार्टी हिंदुओं को रिझाने की कोशिश में है।
आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवार भी खुलकर नहीं कर रहे समर्थन
ममता बनर्जी ने मंगलवार को नंदीग्राम में नामांकन के पहले भाषण दिया था तो उसमें अपने नंदीग्राम आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा था कि वे हर कदम पर आंदोलनकारियों के साथ खड़ी रहीं और कई बार उनके ऊपर मुश्किलें भी आईं। हमने आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात कर जाना कि आखिर वे इस चुनाव को लेकर क्या सोच रहे हैं। किसी भी परिवार ने यह नहीं बताया कि वे ममता या शुभेंदु में से किस को पसंद कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपनी तकलीफें जरूर गिनाईं।
रिंकू मंडल के पति आंदोलन में मारे गए थे। वे कहती हैं, ‘2007 के बाद से आज तक सरकार का कोई आदमी हमारे पास नहीं आया। शुरू में ममता बनर्जी ने तीन लाख रुपए जरूर दिए थे। अब अम्फान तूफान में घर का छत उड़ गया, लेकिन हमें कोई मदद नहीं मिली।’ इस्नेंदु मंडल के बड़े भाई भी इसी आंदोलन में मारे गए थे। वे कहते हैं, ‘हमें CPM ने पांच लाख रुपए दिए थे, लेकिन उसके बाद किसी ने नहीं पूछा। राशन कार्ड के लिए अप्लाई किया था, वो अब तक नहीं मिल पाया है। कार्ड न होने के चलते फ्री में राशन भी नहीं मिल पाता।’
रिंकू कहती हैं, ‘ममता दीदी चुनाव आ गए इसलिए हम लोगों की बात कर रही हैं, लेकिन जो उन्होंने कहा था कि वो हमेशा हमारे साथ खड़ी होंगी, ऐसा वो नहीं कर रहीं।’ दोनों ही परिवारों ने यह बताने से इनकार कर दिया कि वो किसकी सरकार चाहते हैं और किसे वोट देंगे। प्रताप गिरी का बेटा भी इसी आंदोलन में मारा गया था। वे कहते हैं, ‘हमें CPM की तरफ से 5 लाख रुपए मिला था। शुभेंदु बाबू ने पोशाक दी। साल में एक बार पांच हजार रुपए भी देता है।’
CPM ने बिगाड़ा बीजेपी का खेल
नंदीग्राम से CPM ने मीनाक्षी मुखर्जी का नाम अनाउंस कर दिया है। इसके पहले ये चर्चा थी कि CPM-ISF के गठबंधन में नंदीग्राम सीट ISF को मिली है। यदि ISF यहां से कैंडीडेट को उतारता तो हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण होता और ममता के वोट भी कटते। इसका फायदा BJP को मिलता, लेकिन अब CPM के कैंडीडेट उतारने से ध्रुवीकरण होने की संभावना कम हुई है और ममता के वोट भी नहीं कटेंगे। CPM के पास अपने पुराने वोट वापस आते हैं तो इससे फायदा BJP को होगा। CPM के कैंडीडेट अनाउंस करने के बाद BJP ने कहा भी है कि यह तृणमूल और CPM की मिलीभगत है। वो मिलकर BJP को हराना चाहते हैं।