Monday, September 22

72वां गणतंत्र दिवस:चित्रों वाला दुनिया का अकेला संविधान, 22 पन्नों पर शांति निकेतन के चितेरों ने राम और श्याम उकेरे तो सम्राट अकबर और टीपू सुल्तान भी बनाए

  • राम, कृष्ण, बुद्ध और महावीर के चित्रों पर संविधान के पंथनिरपेक्ष होने पर सवाल उठा था
  • बहस के बाद संविधान सभा में तय हुआ, शब्द संविधान का हिस्सा हैं लेकिन चित्र नहीं

काल की छाती पर पैर रखकर नृत्य करते नटराज, अयोध्या लौटते राम-सीता और लक्ष्मण, कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश देते कृष्ण और गंगा का धरती पर अवतरण। शांति का उपदेश देते बुद्ध और यज्ञ कराते वैदिक ऋषि की यज्ञशाला। ये सभी चित्र हमारे संविधान की मूल कॉपी यानी अंग्रेजी पांडुलिपि में हैं।

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कहने पर शांति निकेतन के प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस ने अपने छात्रों के साथ चार साल में 22 चित्रों और बॉर्डर से संविधान सजाया। उन्हें 21 हजार रुपए का मेहनताना दिया गया।

संविधान के कवर को अजंता की भित्ति चित्र शैली (दीवारों पर बने चित्र) से सजाया गया है। शुरुआत अशोक के चिह्न से की गई है। अगले पन्ने पर प्रस्तावना या उद्देशिका है। सुनहरे बॉर्डर से घिरी प्रस्तावना में घोड़ा, शेर, हाथी और बैल के चित्र बने हैं। चित्रों में देश की भौगोलिक विविधता को भी दर्शाया गया है। इनके चलते भारतीय संविधान को रिपब्लिक ऑफ आर्ट भी कहा जाता है।

इन चित्रों पर संविधान सभा में बहस भी हुई। दरअसल, कई सदस्यों ने सवाल उठाया कि संविधान में अगर राम, सीता, कृष्ण, हनुमान, बुद्ध, महावीर, गुरु गोबिंद सिंह जैसे चित्र होंगे तो वह पंथनिरपेक्ष कैसे? इस पर सदस्यों के बीच बहस हुई और आखिर वोटिंग से तय हुआ कि संविधान में लिखे शब्द ही संविधान का हिस्सा होंगे, चित्र नहीं।


  • संविधान की मूल अंग्रेजी कॉपी के कवर को सुनहरे रंग के शतदल कमल और अन्य फूलों से सजाया गया है। यह अजंता की भित्ति चित्र शैली है। इसके बीचों-बीच लिखा CONSTITUTION OF INDIA है।

यह भारत का राजकीय प्रतीक अशोक चिह्न है। इसको सारनाथ में मिले अशोक स्तंभ से लिया गया है। मूल रूप से इसमें चार शेर हैं, जो चारों दिशाओं की ओर मुंह किए खड़े हैं, लेकिन तीन ही दिखाई देते हैं। इसके नीचे एक गोल आधार है जिस पर हाथी, घोड़ा, एक सांड, एक सिंह और एक चक्र बना है।

सबसे पहले नदी घाटी सभ्यता का प्रतीक