
- पहले चरण में स्टूडेंट्स को टीका नहीं लगाने के पीछे तर्क- इनकी इम्युनिटी अच्छी होती है इसलिए खतरा भी कम है
- जैसे-जैसे वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ती जाएगी, बच्चों का वैक्सीनेशन होता रहेगा
मध्यप्रदेश सरकार ने दसवीं और बारहवीं के स्कूल खोल दिए हैं। नौवीं-11वीं के लिए भी तैयारी हो गई। यह सब इस उम्मीद में किया गया कि वैक्सीन तो बस आने ही वाली है।
इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि वैक्सीनेशन भले ही अगले महीने शुरू कर दिया जाए लेकिन बच्चों को टीके पहले चरण में नहीं लगेंगे। ऐसा क्यों, इस पर सरकार और WHO का तर्क है कि बच्चों की इम्युनिटी स्ट्रांग होती है, इसलिए इन्हें टीके दूसरे चरण में लगाए जाएंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस उम्मीद में स्कूल खोले गए, उसका फायदा तो बच्चों को होने वाला नहीं है।
WHO के एक अधिकारी ने बताया- स्वास्थ्य विभाग के स्टाफ जिन्हें आगे जाकर टीका लगाना है, सबसे पहले उन्हें प्रोटेक्ट किया जाएगा। इनकी तादाद करीब एक करोड़ है। इसके बाद डॉक्टर, एएनएम, स्टाॅफ नर्स सहित हॉस्पिटल के कर्मचारियों को टीका लगेगा। यह पहले चरण का पहला हिस्सा होगा। दूसरे हिस्से में पुलिस, नगर निगम सहित जो आवश्यक सेवाओं में लगे हैं, उन्हें लगना है। इनका आंकड़ा करीब 2 करोड़ है। तीसरे पार्ट में 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को टीका लगाया जाएगा। इसकी वजह यह है कि डेटा के आधार पर कोरोना से सर्वाधिक मौतें 50 साल से अधिक उम्र के लोगों की हुई है। सबसे पहले यह देखा जाएगा कि 50 साल से ऊपर वाले जो लोग हैं, जिन्हें शुगर, बीपी जैसी बीमारी है, उन्हें टीका दिया जाएगा। यह पूरा टीकाकरण पहले चरण का हिस्सा रहेगा।
MP में तीन फेज में होगा टीकाकरण
डॉ. संतोष शुक्ला ने कहा कि वैक्सीनेशन तीन फेज में होगा। पहला- डॉक्टर्स, हेल्थ वर्कर्स (CORONA WARRIORS) और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग। प्रदेश के हेल्थ वर्कर्स की संख्या 3.80 लाख है। जिसमें सरकारी और निजी दोनों शामिल हैं। जिनकी कोविन (COVIN) साफ्टवेयर में एंट्री भी हो चुकी है। वहीं दूसरे फेज में फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगेगा, जिसमें पुलिस, प्रशासन, नगर निगम, मीडियाकर्मी सहित, जो भी आवश्यक सेवाओं में लगे हैं। तीसरे फेज में अन्य हाेंगे, जिसमें आम लोग शामिल होंगे।
50 की उम्र वाले इसलिए, क्योंकि सबसे ज्यादा खतरा उन्हें
डॉ. संतोष शुक्ला ने बताया कि 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को पहले फेज में ही कोरोना वॉरियर्स के साथ टीका लगेगा। इसकी वजह यह है कि डेटा के आधार पर कोरोना से सर्वाधिक मौतें 50 साल से अधिक उम्र के लोगों की हुई है। सबसे पहले यह देखा जाएगा कि 50 साल से ऊपर वाले जो लोग हैं, जिन्हें शुगर, बीपी जैसी बीमारी है, उन्हें टीका दिया जाएगा। शुक्ला ने कहा कि इनका डेटा जुटाया जा रहा है।
स्टेट एडवाइजर ने कहा- सैफ्टी कवर जांचने के बाद बच्चों को लगेगा टीका
कोरोना की वैक्सीन 18 साल से कम उम्र के बच्चों को लगेगी या नहीं? इस पर एक्सपर्ट्स ने बताया नई वैक्सीन बाजार में आएगी, इसलिए पहले इसके सेफ्टी कवर को जांचा-परखा जाएगा। इसके बाद बच्चों को भी टीका लगाया जाएगा। कोविड के स्टेट एडवाइजर MP डॉ. लोकेंद्र दवे ने कहा- वैक्सीन का सेफ्टी कवर सिक्योर होने के बाद 18 साल से कम उम्र बच्चों को लगाया जाएगा। 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल नहीं करने के पीछे भी यही वजह रही है।
सभी को लगेगा टीका : डीन मेडिकल कॉलेज
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के डीन अनिल दीक्षित ने कहा- वैक्सीन सभी को लगेगी, इसमें 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी शामिल हैं। हालांकि इसे लेकर बच्चों की लोअर ऐज (0-3 या 0-5) तय किया जाना बाकी है क्योंकि इस फेज में बच्चों का रेगुलर टीकाकरण होता है, ऐसे में कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट सामने आ सकते हैं।
कुछ पैरेंट्स ने कहा- वैक्सीन आने तक बच्चों को नहीं भेजेंगे स्कूल
कुछ पैरेंट्स ने कहा हम बच्चों को जोखिम में नहीं डाल सकते। जब तक बच्चों को टीका नहीं लग जाता, उन्हें स्कूल नहीं भेजेंगे। अयोध्या नगर एक्सटेंशन निवासी महेश चौधरी की बेटी 9वीं में पढ़ती हैं। उन्होंने कहा- वह किसी भी सूरत में बेटी को स्कूल नहीं भेजेंगे। शासन ने निर्णय जरूर लिया है, लेकिन इसमें अभिभावकों की सहमति नहीं है। जब तक बाजार में वैक्सीन नहीं आ जाती और वह वैक्सीन सुरक्षित नहीं होती है, तब तक हम अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजेंगे। मेरी कई अभिभावकों से बात हुई है, वह भी अपने बच्चों को नहीं भेज रहे हैं। संगीता नेरकर ने कहा- उनका बेटा 11वीं में पढ़ता है, लेकिन उसे स्कूल नहीं भेजना चाहते। ऑनलाइन पढ़ाई ही ठीक है। स्कूल वाले बच्चे की सुरक्षा की गारंटी लें तो हम भेजने को तैयार हैं।
स्कूलों ने दबाव डाला तो कोर्ट जाएंगे: भोपाल पालक संघ
मध्य प्रदेश पालक संघ के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने कहा- स्कूल खोले जाने के निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन इसके नाम से निजी स्कूलों द्वारा फीस वसूली नहीं होना चाहिए। बच्चा अगर आना चाहता है और माता-पिता की सहमति है, तो स्कूल में प्रवेश दिया जाए। उसकी पढ़ाई नियमित हो, लेकिन जो नहीं आ रहे हैं उन्हें नियमित ऑनलाइन क्लास दी जानी चाहिए।
पेंरेट्स स्कूल आकर व्यवस्थाएं देखें: स्कूल संचालक
एसोसिएशन ऑफ अन एडेड प्राइवेट स्कूल, सोसाइटी फॉर प्राइवेट स्कूल के वाइस प्रेसीडेंट विनीराज मोदी ने कहा- पेरेंटस को डरने की जरूरत नहीं है। वह पहले स्कूल घूमे और यहां की व्यवस्थाएं देखने के बाद ही कोई फैसला करें। वैसे कोरोना का डर तो हर जगह है, घर में बाई, नौकर और ड्राइवर आता है, घर के सदस्य नौकरी करने जाते हैं तो वह भी लेकर आ सकते हैं। हमने इसलिए 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के स्कूल खोले हैं, अब अगर 15 साल तक के बच्चे खुद की सुरक्षा का ध्यान नहीं रख सकते हैं तो फिर कौन रखेगा।