ये बात तव उठ रही है जव देश के सैनिक अपनी जान की बाजी लगाकर देश की सीमाओं की रक्षा करते हुये शहीद हो रहे है ओर देश का विपक्ष उनकी शहादत पर राजनीति करता नजर आ रहा है । जव भी कोई घटना घटती है तो विपक्ष सरकार को घेरने मे लग जाता है सेना द्वारा की गई कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह खडे किये जाते है। इससे सेना का मनोबल कमजोर होता है ।

किसी भी देश के लिए विपक्ष एक बढी भूमिका निभाता है सरकार को सही दिशा दिखाता है पर यहां का विपक्ष सरकार को मुसीबत खडी करता है एक नहीं कई उदाहरण मिलेंगे जव विपक्ष ने अपना गैरजिम्मेदाराना रवैया देश के सामने दिखाया है । बालाकोट की घटना हो ,पठानकोट की घटना हो सर्जिकल स्ट्राईक हो सीएए हो एन आर सी हो सभी मामलों में विपक्ष की भूमिका नकारात्मक रही है। इतना ही नहीं राम मंदिर के फैसले पर भी राजनीति करने से नहीं चूके ।दुख की बात यह है इतने बढे लोकतंत्र के लिए एक जिम्मेदार नेता की आवश्यकता है यदि हम राहुल गांधी अखलेश यादव की बात करे तो ये अपरिपक्व नेता है ये सिर्फ पिता की विरासत से ही आगे बढे है ।जिंदगी के अनुभव से कोशों दूर है ।दूसरे इनके चाटूकार मित्र ओर दरवारी इनके हर गलत निर्णय में साथ होते है ।तजुर्बेकार ओर जिम्मेदार नेताओं की उपेक्षा ने जहां पार्टी का नुकसान हुआ है वहीं देश का नुकसान भी हुआ हो रहा है ।
राहुल गांधी की स्थिति उस राजा के पुत्र की तरह है जो अयोग्य होने पर भी देश को थोपा जा रहा है ये बिल्कुल राजशाही जैसी स्थिति है । यदि दूसरे शव्दों में कहें कि किसी बच्चे के हाथ में भरी हुई गन दे दें ओर वह बालक अपनी गन कहीं भी तान दे।