Monday, September 22

क्या मुरारी बापू के समर्थन करने बाले भी मुरारी बापू के प्रवचनों से इतफाक रखते हैं ?

इन दिनों सनातन भी दो धडों में बटा नजर आ रहा है एक ओर सनातन धर्म की आड में अपनी विचारधारा को लोगों के सामने परोस रहे है तो दूसरी ओर ऐसे लोग है जो सनातन की गरिमा से किसी भी तरह कि छेड़छाड़ नहीं चाहते उनका मानना है हमारे शास्त्रों में जो व्यवस्था है उसका पालन होना चाहिए। जो लोग शास्त्रों से अलग राय रखते है उसमें भी उन्हें कोई आपत्ति नहीं है पर उसके लिए व्यासपीठ का उपयोग न करे। वह स्वतंत्र है किसी भी तरह अपने मकसद को पूरा करते रहे । यदि व्यासपीठ पर बैठे है तो उस पीठ का मान रखना ही चाहिए। इस पूरी मुहिम में कई कथा वाचक अलग अलग मत रख रहे है ।ऐसे में संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है ।

यहां सबाल यह उठ रहा है आखिर सही कोन जो व्यासपीठ पर बैठकर मुसलमान धर्म का स्तुतिगान कर रहे हैंं ,ओर भगवान श्री कृष्ण पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैंं ,वो सही है । यह उन संतों ओर कथावाचकों को बताना चाहिए जो ऐसे कथावाचकों के पक्ष में बीडीओ जारी कर रहे हैं । इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है । ओर आनेवाली नई पीढी भी दिशाभ्रमित होती दिखाई दे रही है । यहां यह भी सवाल उठ रहा है की जो व्यासपीठ की गरिमा को धूमिल कर रहे हैंं , उसके समर्थन में देश के कुछ ऐसे संत आ रहे है जो बढे नाम बाले हैं ,उनकी अपनी प्रतिष्ठा है यहां उनकी प्रतिष्ठा भी भ्रम मे दिखाई दे रही है । बैसे ये उनका व्यक्तिगत मामला है पर जव समाज की बात आती है तो व्यक्ति का कुछ भी व्यक्तिगत नहीं रह जाता ।

बैसे रामभद्राचार्य जी ने स्पष्ट शब्दों में निन्दा करते हुये आदेश भी दिया है ।जो आज की स्थिति में बहुत जरूरी था । पर बारबार यह सबाल तो उठ ही रहा है कि जो भी लोग मुरारी बापू के साथ है वो उनके द्वारा की जा रही बातों से इतफाक रखते हैं क्या।